वाराणसी: कोरोना संक्रमित युवक ने कथित तौर पर बीएचयू अस्पताल की छत से कूदकर आत्महत्या की

वाराणसी पुलिस ने बताया कि युवक को मानसिक बीमारी को लेकर 16 अगस्त को बीएचयू के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया था और कोविड-19 संक्रमित होने का पता चला था.

दिल्ली: एक महीने में एम्स के तीसरे डॉक्टर ने कथित तौर पर आत्महत्या की

दक्षिणी दिल्ली के हौज़ ख़ास इलाके में किराये के मकान में शुक्रवार की दोपहर को एम्स के 40 वर्षीय डॉक्टर का शव छत से लटका हुआ मिला. इससे पहले एक महीने के अंदर एम्स के दो डॉक्टरों ने कथित तौर पर संस्थान की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी.

दिल्ली: एम्स में एमबीबीएस छात्र ने कथित तौर पर छत से कूद जान दी, दो महीने में चौथी घटना

पुलिस ने बताया कि बेंगलुरु के रहने वाले साल 2018 बैच के 22 वर्षीय एमबीबीएस छात्र विकास को अस्पताल के मनोरोग वार्ड में भर्ती कराया गया था. कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर उनका इलाज चल रहा था.

दिल्ली: एम्स में एक और मरीज़ ने कथित तौर पर फांसी लगाकर जान दी

पुलिस ने बताया कि 35 वर्षीय मृतक राजमणि सत्तार मध्य प्रदेश के सतना के रहने वाले थे. पांच-छह महीने पहले उनकी आंत का ऑपरेशन हुआ था. उसके बाद से ही वह एम्स में भर्ती थे. पिछले दो हफ्तों में एम्स में कथित तौर पर आत्महत्या की यह तीसरी घटना है.

दिल्ली: हॉस्टल की 10वीं मंजिल से कथित तौर पर कूदकर एम्स के जूनियर डॉक्टर ने जान दी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि एम्स के 25 वर्षीय जूनियर रेज़िडेंट डॉक्टर अनुराग कुमार पिछले कुछ समय से अवसाद में चल रहे थे. इससे पहले कोरोना संक्रमित पत्रकार तरुण सिसोदिया ने एम्स ट्रॉमा सेंटर की चौथी मंज़िल से कथित तौर पर कूदकर जान दे दी थी.

कोरोना संक्रमित पत्रकार की मौत के पीछे कोई ग़लत नीयत नहीं: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री

कोरोना संक्रमित पत्रकार तरुण सिसोदिया की दिल्ली के एम्स में छह जुलाई को मौत हो गई थी, अस्पताल प्रशासन का दावा था उन्होंने चौथी मंज़िल से छलांग लगा ली थी जिससे उनकी मौत हो गई. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एम्स और जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रशासन में आवश्यक बदलाव के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है.

दिल्ली: क्या कोरोना संक्रमित पत्रकार तरुण सिसोदिया ने वाकई आत्महत्या की?

दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में कोविड-19 का इलाज करा रहे दैनिक भास्कर में कार्यरत पत्रकार तरुण सिसोदिया की बीते छह जुलाई को मौत हो गई. एम्स प्रशासन ने दावा किया था कि उन्होंने अस्पताल की चौथी मंज़िल से कूदकर जान दे दी. उनकी मौत की जांच किए जाने की मांग के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एक जांच समिति का गठन किया है.

दिल्ली: कोरोना संक्रमित पत्रकार की मौत, एम्स प्रशासन का दावा- छत से कूदकर दी जान

पत्रकार तरुण सिसोदिया के निधन के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मामले की जांच आदेश देते हुए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है. तरुण ​दैनिक भास्कर अख़बार में कार्यरत थे.

देश की 70 प्रमुख प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों के 2911 पद खाली

केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक पुणे स्थित राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों के 123 पद, गोवा स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान में 100 पद, बेंगलुरु स्थित केंद्रीय चतुर्थ प्रतिमान संस्थान में 177, हैदराबाद स्थित भारतीय रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान में 102 पद खाली हैं.

बिहार में डॉक्टरों के 57 फीसदी और नर्सों के 71 फीसदी पद खाली

बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाख़िल कर ये जानकारी दी. हाल ही में चमकी बुखार के कारण राज्य में 150 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है.

चमकी बुखार: अगर नीतीश सरकार ने समय रहते तैयारी की होती, तो बच्चों की जानें बच सकती थीं

ग्राउंड रिपोर्ट: मुज़फ़्फ़रपुर और आस-पास के जिलों में चमकी बुखार का प्रकोप अप्रैल से शुरू होता है और जून के महीने तक मानसून आने तक बना रहता है. इस लिहाज़ से लोगों को जागरूक करने के लिए और अन्य आवश्यक तैयारियां जनवरी माह से शुरू हो जानी चाहिए थीं लेकिन गांवों में जाने पर जागरूकता अभियान के कोई चिह्न दिखाई नहीं देते.

चमकी बुखार से प्रभावित करीब 75 फीसदी परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं: रिपोर्ट

बिहार सरकार द्वारा कराए गए सर्वे में ये जानकारी सामने आई है. राज्य में एईएस या चमकी बुखार से अब तक 130 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है.

इंसेफलाइटिस से बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बिहार सरकार को नोटिस जारी किया

कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र दोनों सात दिन के भीतर हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उन्होंने इंसेफलाइटिस से हो रहे बच्चों की मौत को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं.

क्यों 25 साल बाद भी हमें नहीं पता कि बच्चों को चमकी बुखार से कैसे बचाया जाए?

वर्ष 1995 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में यह एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम का पहला मामला सामने आने के बाद 25 साल गुज़र गए, इसके बाद भी इस बीमारी के सही कारणों और निदान का पता नहीं चल पाया है.

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर में अस्पताल के पीछे मिले मानव कंकाल

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित जिस अस्पताल के पीछे मानव कंकाल मिले हैं, वहां एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से अभी तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है. बिहार में चमकी बुखार से अभी तक करीब 139 बच्चों की मौत हो चुकी है.