अफ़सोस की बात थी कि जिस वक़्त संसद में सरकार के लोग ठिठोली, छींटाकशी कर रहे थे जब मणिपुर में लाशें 3 महीने से दफ़न किए जाने का इंतज़ार रही हैं. इतनी बेरहमी और इतनी बेहिसी के साथ कोई समाज किस कदर और कितने दिन ज़िंदा रह सकता है?
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
नूंह में हुई हिंसा के बाद राज्य के कई क्षेत्रों में फैले सांप्रदायिक तनाव के बीच हरियाणा की लगभग 30 खापों, संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं, कई किसान संघों और विभिन्न धर्मों के लोगों ने हिसार में महापंचायत में हिस्सा लिया, जहां शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की गई.
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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर घेरते हुए बोला कि आप पूरे देश में केरोसिन फेंक रहे हो, आपने मणिपुर में केरोसिन फेंका, चिंगारी लगा दी. अब आप हरियाणा में कर रहे हो. पूरे देश को आप जलाने में लगे हो.
देश की ग़ुलामी के दौर में विदेशी हुक्मरानों तक ने अपनी पुलिस से लोगों के जान-माल की रक्षा की अपेक्षा की थी, मगर अब आज़ादी के अमृतकाल में लोगों की चुनी हुई सरकार अपनी पुलिस के बूते सबको सुरक्षा देने में असमर्थ हो गई है.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह हिंसा के बाद हिंसा प्रभावित क्षेत्र में चल रही ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर स्वतः संज्ञान लेते हुए रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि क़ानून व्यवस्था की समस्या का इस्तेमाल बिना ज़रूरी क़ानूनी प्रक्रिया का पालन किए समुदाय विशेष से जुड़ी इमारतें गिराने के लिए किया जा रहा है.
वीडियो: 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के बाद हिंसा प्रभावित क्षेत्र में स्थानीय अधिकारियों ने मुस्लिमों की संपत्ति पर ध्वस्तीकरण कार्रवाई की थी. रहवासियों का दावा है कि बिना किसी नोटिस या पूर्व सूचना के ऐसा किया गया. अब बेघर लोग बिना बुनियादी सुविधाओं के रहने को मजबूर हैं.
नूंह हिंसा के चलते व्याप्त तनाव के बीच निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए रविवार को गुड़गांव में एक 'हिंदू महापंचायत' का आयोजन किया गया, जिसमें मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के आह्वान के साथ-साथ दावा किया गया कि बीते दिनों एक मस्जिद पर हमला करने वाले लोग निर्दोष हैं.
सुप्रीम कोर्ट नफ़रत भरे भाषणों पर अंकुश लगाने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इसी कड़ी में हरियाणा के नूंह ज़िले में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद दिल्ली और एनसीआर में आयोजित विरोध प्रदर्शनों के संबंध में आए एक आवेदन पर इसने कहा कि पुलिस को इन अपराधों के बारे में संवेदनशील होने की ज़रूरत है.
हरियाणा के नूंह में बीते 31 जुलाई को भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सोशल मीडिया और कुछ समाचार वेबसाइट पर ऐसे दावे किए जा रहे थे कि नलहर महादेव मंदिर में फंसी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था, पुलिस ने इन दावों को बेबुनियाद बताया है.
नूंह ज़िले की घटना के विरोध में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदुत्ववादी संगठनों ने हिसार ज़िले के हांसी शहर में बीते 2 अगस्त को एक रैली निकाली थी, जिसमें मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार का आह्वान करने के साथ ही समुदाय के लोगों को दो दिनों में शहर छोड़ने की चेतावनी दी गई थी.
वीडियो: नूंह में हुई सांप्रदायिक झड़पें और उसके बाद राज्य के कुछ अन्य हिस्सों में हुई हिंसा से पहले इसके लिए हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा माहौल तैयार किया गया था, जिसकी पुष्टि कई मीडिया रिपोर्ट्स करती हैं. तमाम वीडियोज़ सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं, जिनसे सवाल उठता है कि अगर सरकार चाहती, तो ऐसा नहीं होता.
हरियाणा के नूंह में इस हफ्ते हुई हिंसा के बाद शुक्रवार को ज़िला प्रशासन द्वारा मकान और संपत्तियां तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई है. एक तरफ कुछ अधिकारी तोड़फोड़ का हिंसा से कोई लेना-देना न होने की बात कह रहे हैं, तो दूसरी ओर कुछ अधिकारियों का दावा है कि कुछ संपत्तियों के मालिक हिंसा में शामिल थे.
वीडियो: महाराष्ट्र में एक चलती ट्रेन में आरपीएफ कॉन्स्टेबल द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी और तीन मुस्लिमों की हत्या करने और बीते दिनों हरियाणा के नूंह में हुई सांप्रदायिक झड़पों की वजह एक ही है? इस बारे में चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद.