सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में अहमदाबाद के कुछ गरबा स्थलों पर बजरंग दल के कार्यकर्ता मुस्लिम युवकों के साथ मारपीट और गली-गलौज करते दिख रहे हैं. कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट की बात स्वीकारने और ऐसे वीडियो जारी करने के बावजूद पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले को मामला. पुलिस के अनुसार, एक मुस्लिम युवक और हिंदू युवती के बीच प्रेम संबंध था और वे घर छोड़कर चले गए थे. उन्हें ढूंढ़कर युवती को उसके परिजनों को सौंप दिया था. आरोप है कि इसके महीने भर बाद जब युवक अपने माता-पिता के साथ कहीं जा रहे थे तो रास्ते में युवती के परिजनों ने उन पर हमला कर दिया.
कर्नाटक के गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक 2022’ को सदन में पेश किया. राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद यह विधेयक 17 मई, 2022 से क़ानून का रूप ले लेगा, क्योंकि इसी तारीख़ को अध्यादेश लागू किया गया था.
बीते 28 अगस्त को एशिया कप में हुए भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबले के बाद ब्रिटेन के लेस्टर शहर में हिंदू-मुस्लिम समुदाय आमने-सामने आ गए थे, तब से ही शहर में हाथापाई और सांप्रदायिक तनाव में वृद्धि देखी जा रही है. शनिवार को दोनों समुदायों के बीच फिर से झड़प हुई थीं.
मोदी सरकार एक ऐसा राज्य स्थापित करने की कोशिश में है जहां जनता सरकार से जवाबदेही न मांगे. नागरिकों के कर्तव्य की सोच को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. मोदी सरकार बिना आपातकाल की औपचारिक घोषणा के ही अधिकारहीन कर्तव्यपालक जनता गढ़ रही है.
आरएसएस को फ़ासीवादी संगठन कहने पर कुछ लोग नाराज़ हो उठते हैं. उनका तर्क है कि वह देशभक्त संगठन है. क्या देश में रहने वाली आबादियों के ख़िलाफ़ घृणा पैदा करते हुए, उनके ख़िलाफ़ हिंसा करते हुए देशभक्ति की जा सकती है?
विधानसभा ने पिछले वर्ष दिसंबर में ‘कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ पारित किया था लेकिन विधान परिषद में भाजपा को बहुमत न होने की वजह से यह लंबित था. सरकार इस विधेयक को प्रभाव में लाने के लिए इस वर्ष मई में अध्यादेश लाई थी.
हिंदी के हक़ में हिंदू क्यों अपना वक़्त ज़ाया करते हैं. मुसलमान उर्दू के तहफ़्फ़ुज़ के लिए क्यों बेक़रार हैं?
ज्ञानवापी मामले में बनारस की अदालत ने अभी इतना ही कहा है कि हिंदू महिला याचिकाकर्ताओं की याचिका विचारणीय है. इस निर्णय को हिंदुओं की जीत कहकर मीडिया प्रचारित कर रहा है. इससे आगे क्या होगा, यह साफ़ है. वहीं, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मथुरा की धमकी दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मामला तीन सदस्यीय पीठ को सौंपने की भी बात कही है. नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है और इसका उद्देश्य मुसलमानों से स्पष्ट रूप से भेदभाव करना है.
पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी ज़िला अदालत में दायर एक याचिका में कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास बनी ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू देवी-देवता हैं और हिंदुओं को इस जगह पर पूजा की अनुमति मिलनी चाहिए. इस याचिका को ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद समिति ने चुनौती दी थी.
घटना सीवान ज़िले की है. आरोप है कि गुरुवार को महावीरी अखाड़े के जुलूस के दौरान एक मस्जिद के पास सांप्रदायिक नारेबाज़ी की गई, जिसके बाद दो गुटों में पत्थरबाज़ी हुई और एक दुकान को आग लगा दी गई.
नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है और इसका उद्देश्य मुसलमानों से स्पष्ट रूप से भेदभाव करना है, क्योंकि अधिनियम ने केवल हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को लाभ दिया है.
एनजीओ ‘वी द सिटिजंस’ ने एक याचिका में 1989-2003 के दौरान जम्मू कश्मीर में 'हिंदुओं और सिखों के कथित जनसंहार को अंजाम देने वालों की पहचान के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की थी. इससे सुनने से इनकार करते हुए अदालत ने उसे केंद्र तथा उचित प्राधिकार के समक्ष अभ्यावेदन देने को कहा है.
बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल था, जिसमें एक महिला से कुछ लोग मारपीट करते नज़र आ रहे हैं. इस वीडियो को शेयर करते हुए समाचार चैनल ज़ी हिंदुस्तान ने दावा किया था कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर ज़ुल्म नहीं रुक रहा है. अब फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में पता चला है कि पीड़िता मुस्लिम समुदाय की हैं और इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.