प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक बीमार युवक ने समय पर इलाज न मिलने के चलते इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा में उन्हें अस्पताल ले जा रही मां के क़दमों में दम तोड़ दिया. उनका शव वापस ले जाने के लिए भी किसी एंबुलेंस की व्यवस्था न हो पाने के कारण उनकी मां ई-रिक्शा में ही मृत शरीर लेकर जाना पड़ा.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा एवं देशव्यापी समस्या होने के कारण केंद्र सरकार को औद्योगिक उपयोग की ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन के लिए उपयोग करने की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए और यदि फ़िर भी यह ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं होती है तो इसका आयात करना चाहिए.
ट्विटर पर दिल्ली में कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में बिस्तरों की कमी को लेकर कई लोगों ने पोस्ट किए हैं. हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अस्पतालों में बिस्तरों की कमी नहीं है और कोविड मरीज़ों के लिए अब भी 5,000 बेड उपलब्ध हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि बड़े पैमाने पर बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी हैं.
वीडियो: भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड दो लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए है. इसके अलावा इस महामारी की चपेट में आकर मरने वालों का आंकड़ा 1.74 लाख से अधिक हो गया है.
मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले का मामला है. ज़िले के एक गांव में कोरोना संक्रमित युवक को अस्पताल ले जाने को लेकर उसके परिजनों और स्वास्थ्य विभाग के दल के बीच विवाद हो गया था. घटना से संबंधित एक कथित वीडियो में युवक के परिवार पर पुलिस डंडे बरसाती नज़र आ रही है. दो पुलिसकर्मियों को लाइन हाज़िर कर दिया गया है.
घटना नागपुर में वाडी इलाके के वेल ट्रीट अस्पताल में शुक्रवार रात को आग लग गई. घटना के समय अस्पताल में 31 मरीज़ भर्ती थे, हादसे में कुछ लोग घायल हुए हैं. पुलिस के अनुसार यह मूल रूप से एक ग़ैर कोविड-19 अस्पताल है, लेकिन कुछ कोविड रोगी भी भर्ती थे, पर मृतकों में से किसी को भी कोविड होने की सूचना नहीं है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईटी-खड़गपुर के पूर्व छात्रों द्वारा अस्पताल का नाम बदलने को लेकर आपत्ति जताने के बाद ऐसा हुआ. आईआईटी-खड़गपुर में स्थित इस मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल का नाम मूल रूप से पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बीसी रॉय के नाम पर था, लेकिन अब इसे जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम दे दिया गया है.
मामला सोनीपत का है, जहां बुधवार को केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे एक बुज़ुर्ग किसान की हृदयाघात से मौत होने के बाद उनका शव सरकारी अस्पताल के शवगृह में रखा गया था. अगले दिन मृतक के परिजनों ने शव पर ज़ख्मों के निशान देखे, जिसके बाद यह मामला सामने आया.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा था कि डॉक्टरों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इसके अलावा दिल्ली के तीनों नगर निगमों द्वारा वेतन भुगतान नहीं करने के संबंध में अलग-अलग विभाग के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों द्वारा कई याचिकाएं दायर की गई हैं.
मामला उत्तर केरल के मलप्पुरम ज़िले का है. 20 वर्षीय गर्भवती महिला को तीन अस्पतालों ने कथित तौर पर भर्ती करने से मना कर दिया था. राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सचिव को इसकी जांच का निर्देश दिया है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने अपनी कोविड-19 जांच रणनीति की समीक्षा कर नया परामर्श जारी किया है. परिषद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोविड जांच नहीं होने के आधार पर आपात सेवा में देरी नहीं की जानी चाहिए और गर्भवती महिला को जांच की सुविधा नहीं होने के आधार पर रेफर नहीं किया जाना चाहिए.
वाराणसी के 28 चिकित्सा अधिकारियों ने 12 अगस्त को सामूहिक इस्तीफ़ा देते हुए आरोप लगाया था कि उप जिलाधिकारी उन पर दबाव बनाते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं. अधिकारियों ने प्रशासन को अतिरिक्त सीएमओ की मौत के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया था.
मामला कोलकाता के एक निजी अस्पताल का है. मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर भर्ती करने के लिए पहले तीन लाख रुपये जमा कराने का आरोप लगाया. हालांकि अस्पताल ने इन आरोपों से इनकार किया है.
मामला सहारनपुर ज़िला अस्पताल का है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक महिला सोमवार सुबह इमरजेंसी वार्ड के बाहर पति के इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों से मदद मांगती रही लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इस शख़्स की मौत हो जाने के बाद भी उनका शव काफ़ी समय तक बारिश में वहीं पड़ा रहा. सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में अपने पति को इलाज के लिए जिला अस्पताल आई एक महिला को इलाज तो दूर की बात, उनके गुजरने के बाद पति का शव उठाने वाला
सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किया.