‘जब सभ कर दोउ हाथ पग दोउ नैन दोउ कान, रविदास पृथक कइसे भये हिंदू औ मूसलमान’

संत कवियों की लंबी परंपरा में एक रविदास ही ऐसे हैं जो श्रम को ईश्वर बताकर ऐसे राज्य की कल्पना करते हैं, जो भारतीय संविधान के समता, स्वतंत्रता, न्याय व बंधुत्व पर आधारित अवधारणा के अनुरूप है.

संविधान निर्माण के समय सोशलिस्ट पार्टी का सुर अलग क्यों था

दिसंबर 1946 में स्वतंत्र भारत के लिए जब एक नया संविधान बनाए जाने की कवायद शुरू हुई और संविधान सभा का गठन किया गया तो कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं ने यह कहते हुए इसका बहिष्कार किया कि यह 'एडल्ट फ्रेंचाइज़' यानी बालिग मताधिकार के आधार पर आधारित चुनी हुई सभा नहीं है.

हमारा संविधान: क्या कहता है अनुच्छेद 27-28, क्या है अनिवार्य कर व धार्मिक निर्देशों पर रोक

वीडियो: क्या केंद्र या राज्य सरकारें किसी धर्म के प्रचार के लिए नागरिकों पर कर लगा सकती हैं? क्या सरकारें लोगों का पैसा धर्म के काम पर ख़र्च कर सकती हैं और इस पर संविधान क्या कहता है? क्या धर्म की शिक्षा उस संस्थान ने दी जा सकती है जो सरकारी ख़र्चे पर चलता है? इन सब पर विस्तार से बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

हमारा संविधान: क्या है अपने धर्म को मानने और उसके प्रसार का अधिकार

वीडियो: भारत का संविधान 'धर्म' पर क्या कहता है? धर्म के अधिकार की क्या सीमा है? धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है और क्यों हमारे संविधान बनाने वालों ने एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की. संविधान का अनुच्छेद 25 इस विषय पर बात करता है, जिसके बारे में विस्तार में बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

भारतीयता, परंपरा और आधुनिकता का असल अर्थ क्या है

भारत में जिस दल की केंद्रीय स्तर पर सरकार है और जो ‘स्वयंसेवी संगठन’ वर्चस्व की स्थिति में है उसका दबाव अकादमिक कार्यक्रमों और लोगों के सामान्य वैचारिक निर्माण पर स्पष्ट है. इस प्रक्रिया में किसी शब्द के अर्थ को इतना संकुचित कर दिया जा रहा है कि उसकी अर्थवत्ता ही संदिग्ध हो जा रही है.

हमारा संविधान: भारतीय संविधान का सारांश

वीडियो: अक्सर यह सवाल किए जाते हैं कि संविधान आख़िर है क्या, इसकी ज़रूरत क्यों है, क्या इसमें बदलाव किए जा सकते है, हमारे देश का संविधान विश्वभर में सबसे बड़ा क्यों है और आम आदमी की ज़िंदगी को यह कैसे प्रभावित करता है. ऐसे कई सवालों के जवाब दे रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

‘जय भीम’ के निर्देशक ने वन्नियार समुदाय को आहत करने पर खेद जताया

तमिल, तेलुगु सहित कई भाषाओं में आई फिल्म 'जय भीम' पर तमिलनाडु में विवाद खड़ा हो गया है. वन्नियार समुदाय का आरोप है कि फिल्म में उन्हें ग़लत तरीके से दिखाया गया है. निर्देशक टीजे ज्ञानवेल ने कहा कि विवाद की पूरी ज़िम्मेदारी उनकी है और इसके लिए अभिनेता सूर्या को निशाना बनाना अनुचित है.

हमारा संविधान: अनुच्छेद 24; ख़तरनाक रोज़गार में बाल श्रम पर निषेध

वीडियो: भारत के संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के ख़तरे भरे कामों में रोज़गार पर नहीं लगाया जा सकता. इस अनुच्छेद में ख़तरे वाले कामों को कैसे परिभाषित किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने बाल श्रम पर क्या कहा है, समझा रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.

जय भीम: आशा और निराशा दोनों के यथार्थ दिखाता न्याय का संघर्ष

टीजे ज्ञानवेल की जय भीम उम्मीद और नाउम्मीदी की फ़िल्म है. उम्मीद इसलिए कि यह दिखाती है कि इंसाफ़ के लिए लड़ा जा सकता है, जीता भी जा सकता है. नाउम्मीदी इसकी कि शायद हमारे इस वक़्त में यह सब कुछ एक सपना बनकर रह गया है.

हमारा संविधान: अनुच्छेद 23; मानव तस्करी और जबरन श्रम के ख़िलाफ़ प्रतिबंध

वीडियो: क्या आप जानते हैं कि अनुच्छेद 23 के अनुसार किसी व्यक्ति को काम करने के लिए बाध्य करना या न्यूनतम आय का भुगतान नहीं करना या मानव की तस्करी करना असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों की मदद से अधिवक्ता अवनि बंसल मानव तस्करी और जबरन श्रम पर संविधान क्या कहता है, इसकी जानकारी दे रही हैं.

हमारा संविधान: अनुच्छेद-21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अर्थ

वीडियो: अनुच्छेद-21 में जिन शब्दों का उपयोग हुआ है, उनकी सुप्रीम कोर्ट ने कैसे व्याख्या की है? अपराधियों के अधिकार से लेकर महिलाओं के अधिकारों तक- फेयर ट्रायल, स्पीड ट्रायल और पर्यावरण की सुरक्षा को भी कोर्ट ने अनुच्छेद-21 में बताया है. इस विषय में विस्तार से बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

हमारा संविधान; अनुच्छेद 21: एके गोपालन मामले से लेकर मेनका गांधी संबंधी फैसला

वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 21 क्या कहता है और इसका क्या इतिहास है, क्यों इसे मूल अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है? अनुच्छेद 21 में दिए गए अधिकार को अमेरिकी संविधान की तुलना में सुप्रीम कोर्ट ने कैसे देखा, बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

मुझे नज़रबंद किया गया, कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के दावों की सच्चाई सामने आई: मुफ़्ती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि जहां भारत सरकार अफ़ग़ानिस्तान में लोगों के अधिकारों के लिए चिंता व्यक्त कर रही है, वहीं कश्मीरियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है.

संविधान का अनुच्छेद-20: आत्म दोषारोपण से सुरक्षा

वीडियो: आपको किसी ऐसे अपराध के लिए सज़ा नहीं सुनाई जा सकती, जो अपराध था ही नहीं जब आपने उसे अंजाम दिया. इसी प्रकार से एक ही अपराध के लिए आपको दो बार सज़ा नहीं सुनाई जा सकती. आप पर ये दबाव भी नहीं बनाया जा सकता है कि आप अपने ही ख़िलाफ़ गवाही दें. आइए समझते है, भारत के संविधान का अनुच्छेद-20 को, जो इन तीनों बातों की संविधानिक सुरक्षा प्रदान करता है.

महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र को चेताया- अगर जम्मू कश्मीर ने सब्र खोया, तो आप गायब हो जाएंगे

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि केंद्र के पास अब भी जम्मू कश्मीर में एक संवाद प्रक्रिया शुरू करने का अवसर है जैसे पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने किया था और उनके पास सूबे की पहचान को अवैध रूप से और असंवैधानिक तरीके से छीनकर की गई ग़लती को सुधारने का एक मौक़ा है, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी.

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