अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 44 पैसे गिरकर 73.77 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. बुधवार को रुपया 43 पैसे गिरकर 73.34 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था.
बुधवार सुबह रुपया 73.26 पर खुला था. इसमें गिरावट लगातार जारी रही. डॉलर के मुकाबले 43 पैसे गिरकर 73.34 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया.
बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे गिरकर 72.91 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक न्यूनतम स्तर पर आ गया.
गुरुवार दोपहर बाद रुपया बुधवार के बंद की तुलना में 37 पैसे गिर कर प्रति डॉलर 72.12 के नए न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है.
सरकार में हर कोई दूसरा टॉपिक खोजने में लगा है जिस पर बोल सकें ताकि रुपये और पेट्रोल पर बोलने की नौबत न आए. जनता भी चुप है. यह चुप्पी डरी हुई जनता का प्रमाण है.
इससे पहले बीते शुक्रवार को शुरूआती कारोबार में 71 रुपये के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था. हालांकि इसके बाद भी रुपया संभल नहीं सका और उसमें लगातार गिरावट जारी है.
रुपये के भाव में लगातार गिरावट से निर्यातक वैश्विक बाजारों में अपने माल का सही मोल-भाव नहीं कर पा रहे हैं जिससे उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.
रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि एनपीए 31 मार्च, 2018 तक बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये के ऊपर पहुंच गया है, जो 31 मार्च, 2015 तक तीन लाख करोड़ रुपये था.
मानव संसाधन मंत्रालय के शुरुआती नियमों में अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट को प्रतिष्ठित संस्थान का टैग नहीं मिल पाता. यहां तक कि वित्त मंत्रालय ने भी चेतावनी दी थी कि जिस संस्थान का कहीं कोई वजूद नहीं है उसे 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' का दर्जा देना तर्कों के ख़िलाफ़ है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अगुवाई वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति की इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है. इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है.
वर्तमान समय में संस्थाएं गोल हासिल करने वाली वाली कंपनी और व्यक्ति, टारगेट हासिल करने वाला एजेंट बनकर रह गया है.
बीते 23 अगस्त को घरेलू मुद्रा के शुरुआती कारोबार में फिर गिरावट देखी गई और रुपया 70 के पार चला गया. डॉलर के मुकाबले यह 27 पैसे गिरकर 70.08 पर खुला.
कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन शासन के दौरान औसतन 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत से अधिक रही है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, बीते चार माह में विदेशी मुद्रा भंडार में क़रीब 1 लाख 80 हज़ार करोड़ रुपये की कमी आई है. डॉलर के मुकाबले रुपया कमज़ोर होने के चलते केंद्रीय बैंक ने रुपये को मजबूती प्रदान करने के लिए डॉलर की बिकवाली की है.
आज़ादी के 71 साल: सरकार यह महसूस नहीं करती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा पर किया गया सरकारी ख़र्च वास्तव में बट्टे-खाते का ख़र्च नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य के लिए किया गया निवेश है.