स्मृति शेष: उर्दू साहित्य में लता मंगेशकर सांस्कृतिक विविधता और संदर्भों के बीच कई बार ऐसे नज़र आती हैं जैसे वो सिर्फ़ आवाज़ न हों बल्कि बौद्धिकता का स्तर भी हों.
69 वर्षीय गायक और संगीतकार बप्पी लाहिड़ी को स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें थीं. वह भारत में 80 और 90 के दशक में मुख्य रूप से डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं. इस दशक में कई फिल्मों में उन्होंने गाने गाए, जो काफी हिट रहे. इन फिल्मों में ‘चलते-चलते’, ‘डिस्को डांसर’ और ‘शराबी’ शामिल हैं.
स्मृति शेष: लता मंगेशकर की अविश्वसनीय सफलता के पीछे उनकी आवाज़ की नैसर्गिक निश्छलता और सरलता का बहुत बड़ा हाथ है. जिस प्रकार उनकी आवाज़ हर व्यक्ति, समुदाय और वर्ग के लोगों को समान रूप से प्रभावित करने में सफल होती है वह इस बात का सूचक है कि वो आवाज़ अपने दैहिक कलेवर से उठकर आत्मा में निहित मानवीयता को स्पंदित करने में सक्षम हो जाती है.
स्मृति शेष: लता मंगेशकर समय की रेत पर उकेरा गया वो गहरा निशान है जिसे गुज़रती घड़ियों की लहरें और गाढ़ा करती जाती हैं.
भारत में लता मंगेशकर को व्यापक रूप से सबसे महान और सबसे सम्मानित पार्श्व गायिकाओं में से एक माना जाता था. भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ जैसी उपाधियां भी दी गई थीं.
रमेश देव ने 1962 में आई फिल्म ‘आरती’ में एक खलनायक की भूमिका निभाकर हिंदी सिनेमा में अपनी यात्रा शुरू की थी. इसके बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा और हेमा मालिनी और धर्मेंद्र जैसे सितारों के साथ यादगार भूमिकाएं कीं. उनके नाम कई लोकप्रिय फिल्में दर्ज हैं, जिनमें कल्ट क्लासिक- ‘आनंद’, ‘आप की कसम’, ‘मेरे अपने’ और ‘ड्रीम गर्ल’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं.
स्मृति शेष: इब्राहीम अश्क फ़िल्मी गीतकारों से बहुत अलग थे और साहित्य की हर करवट पर नज़र रखते थे. फ़िल्मी और पेशेवर शायर कहकर उनके क़द को अक्सर ‘कमतर’ बताया गया. शायद इसलिए भी अश्क ने अपनी कई आलोचनात्मक तहरीरों में कथित साहित्यकारों की ख़ूब ख़बर ली.
‘कुड़ांगल’ अगले साल ऑस्कर पुरस्कारों में अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म की श्रेणी में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी. निर्देशक पीएस विनोदराज की तमिल भाषा की इस फिल्म में एक बिगड़ैल शराबी पति को दिखाया गया है, जो लंबे समय से परेशान पत्नी के घर से चले जाने के बाद अपने छोटे बेटे के साथ उसे खोजने के लिए निकलता है.
अनुभवी अभिनेत्री सुरेखा सीकरी ने साल 1978 में अपने फिल्मी परदे का सफ़र राजनीतिक ड्रामा फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ से शुरू किया गया था. 1986 में आई गोविंद निहलानी की फिल्म ‘तमस’, 1994 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मम्मो’ और साल 2018 में अमित रवींद्रनाथ शर्मा के निर्दशन में बनी फिल्म ‘बधाई हो’ के लिए उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था.
संगीतकार श्रवण राठौड़ के बेटे संजीव ने बताया कि कुंभ से लौटने के बाद उनके पिता ने सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत की थी. जांच के बाद उनके माता-पिता संक्रमित पाए गए थे. संजीव और उनके भाई भी संक्रमित हैं. नदीम-श्रवण की जोड़ी को आशिकी, सड़क, साजन, दीवाना, राजा हिंदुस्तानी, जुदाई, सिर्फ़ तुम जैसी फिल्मों के संगीत के लिए जाना जाता है.
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह घोषणा किए जाने के बारे में सवाल पूछने पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह फिल्म जगत से जुड़ा पुरस्कार है और रजनीकांत 50 साल से काम कर रहे हैं. व्यक्ति को उचित सवाल पूछना चाहिए.
90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए धारावाहिक ‘शांति’ से चर्चा में आए अभिनेता राजेश जैस हाल ही में ‘स्कैम 92’, ‘पाताललोक’ और ‘पंचायत’ जैसी वेब सीरीज़ में नज़र आ चुके हैं. उनसे प्रशांत वर्मा की बातचीत.
गीतकार जावेद अख़्तर ने अदालत से शिकायत में कहा है कि कंगना रनौत ने उनके ख़िलाफ़ निराधार टिप्पणयां की हैं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है. उन्होंने अभिनेत्री के ख़िलाफ़ मानहानि संबंधी धाराओं में कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
भानु अथैया ने पांच दशक के अपने लंबे करिअर में 100 से अधिक फिल्मों के लिए बतौर कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर अपना योगदान दिया था. उन्हें गुलज़ार की फिल्म ‘लेकिन’ और आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘लगान’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका था.
जय प्रकाश रेड्डी को तेलुगू फिल्मों में निभाए गए उनके हास्य और विलेन के किरदारों के लिए जाना जाता है. आंध्र प्रदेश के गुंटूर स्थित उनके घर पर हृदय गति रुकने की वजह से उनका निधन हुआ. वह 74 वर्ष के थे.