हमारा संविधान: अनुच्छेद 22; निवारक हिरासत और गिरफ़्तारी

वीडियो: क्या आप जानते हैं कि जब पुलिस आपको गिरफ़्तार करती है तो उसे 24 घंटे के भीतर आपको निकटतम मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है? क्या आपको अपनी पसंद के वकील से परामर्श करने का अधिकार है और क्या यह संवैधानिक अधिकार है? वकील अवनि बंसल निवारक हिरासत (Preventive Arrest) और गिरफ़्तारी को लेकर संविधान के अनुच्छेद 22 के बारे में जानकारी दे रही हैं.

ट्विटर से नोटिस मिलने के चार दिन बाद नेटवर्क 18 ने कार्टूनिस्ट मंजुल को निलंबित किया

ट्विटर इंडिया ने कुछ दिनों पहले कार्टूनिस्ट मंजुल को एक नोटिस भेजा था, जिसमें कहा गया था कि भारतीय क़ानून प्रवर्तन ने शिकायत की है कि उनके ट्विटर हैंडल का कंटेंट भारतीय क़ानून का उल्लंघन करता है और इसके लिए ट्विटर को उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए.

मोदी सरकार को कार्टूनिस्टों से क्यों डर लगता है?

वीडियो: हाल ही में ट्विटर ने लोकप्रिय कार्टूनिस्ट मंजुल को एक ईमेल भेजकर कहा था कि उनके एकाउंट के ख़िलाफ़ भारत सरकार से शिकायत मिली है. भारत सरकार का मानना है कि उनके ट्विटर एकाउंट का कंटेंट भारत के क़ानूनों का उल्लंघन करता है. ट्विटर ने मंजुल को सुझाव दिया कि वे क़ानूनी सलाह ले सकते हैं और कोर्ट में सरकार के अनुरोध को चुनौती दे सकते हैं.

कार्टूनिस्ट मंजुल को ट्विटर का नोटिस, कहा- सरकार ट्विटर हैंडल के ख़िलाफ़ चाहती है कार्रवाई

ट्विटर इंडिया ने कार्टूनिस्ट मंजुल को ईमेल भेजकर कहा है कि भारतीय क़ानून प्रवर्तन ने शिकायत की है कि उनके ट्विटर हैंडल का कंटेंट भारतीय कानून का उल्लंघन करता है. हालांकि, ट्विटर ने कहा कि उन्होंने कंटेंट को लेकर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है.

लिखित शिकायत न होने पर महज़ सबूत के आधार पर शुरू की जा सकती है जांच: बॉम्बे हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता दीवानी अदालत के न्यायाधीश हैं. उनका दावा था कि उनके ख़िलाफ़ शुरू की विभागीय जांच उन दिशा-निर्देशों के उलट है जिनके तहत किसी न्यायिक अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले लिखित शिकायत एवं विधिवत शपथ पत्र देना ज़रूरी है.

लोगों की सहानुभूति के लिए बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना ठीक नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

कठुआ रेप पीड़िता के नाम का खुलासा करने पर अदालत में चल रही सुनवाई में एक मीडिया घराने ने बचाव में कहा कि उसने जनभावनाएं जगाने, सहानुभूति बटोरने तथा न्याय सुनिश्चित करने के लिए बच्ची का नाम और तस्वीर प्रकाशित की.

बलात्कार पीड़िता की पहचान के खुलासे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मृतक की भी गरिमा होती है

उच्चतम न्यायालय ने कहा, 'मीडिया रिपोर्टिंग पीड़ित का नाम लिए बगैर भी की जा सकती है. भले ही पीड़ित नाबालिग या विक्षिप्त हो तो भी उसकी पहचान का खुलासा नहीं करना चाहिए.'

अदालत ने सरकार से पूछा: बलात्कार संबंधी अध्यादेश लाने से पहले क्या कोई अध्ययन किया गया?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या उस नतीजे के बारे में सोचा गया जो पीड़िता को भुगतना पड़ सकता है? बलात्कार और हत्या की सजा एक जैसी हो जाने पर कितने अपराधी पीड़ितों को ज़िंदा छोड़ेंगे?