कच्चाथीवू मामला पचास साल पहले सुलझ गया है, चर्चा की ज़रूरत नहीं: श्रीलंका

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान बार-बार कच्चाथीवू द्वीप का मुद्दा उठा रहे हैं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा कि उनका सोचना है कि इस पर चर्चा की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह हल किया जा चुका मुद्दा है और द्वीप पर कोई विवाद नहीं है.

कच्चाथीवू मुद्दा उठाना प्रधानमंत्री की हताशा को दर्शाता है: कांग्रेस प्रमुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कि तत्कालीन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को दे दिया था, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने पूछा कि मोदी ने अपने 10 साल के शासन के दौरान इसे वापस पाने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए.

अदालत ने पूछा- क्या तारीख़ बरक़रार रखते हुए संविधान की प्रस्तावना में संशोधन किया जा​ सकता है?

पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और वकील विष्णु शंकर जैन ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है. 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पेश किए गए 42वें संवैधानिक संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द शामिल किए गए थे.

इंदिरा गांधी को हिंदुत्व से जोड़ने की कोशिशों का अयोध्या से क्या नाता रहा है?

अपने स्वर्णकाल में भी ‘असुरक्षा’ की शिकार हिंदुत्ववादी जमातों ने डॉ. मनमोहन सिंह को छोड़कर हर कांग्रेसी प्रधानमंत्री को हिंदुत्ववादी क़रार देने या खींच-खांचकर हिंदुत्व के पाले में लाने के प्रयास किया है. इंदिरा गांधी भी इससे अछूती नहीं रही हैं.

आचार्य जेबी कृपलानी: महात्मा गांधी के ‘दाहिने हाथ’, जो उनके जाते ही ‘कांग्रेसद्रोही’ हो गए थे

जन्मदिन विशेष: स्वतंत्रता सेनानियों की ‘गांधीवादी-समाजवादी’ जमात के सदस्य और दर्शन व इतिहास के लोकप्रिय व्याख्याता रहे जेबी कृपलानी को उनकी ‘चिर असहमति’ के लिए भी जाना जाता है. इसका नतीजा यह भी रहा कि वे बार-बार अपनी भूमिकाएं पुनर्निर्धारित करते रहे. 

मोदी सरकार के सरकारी अधिकारियों को ‘रथ प्रभारी’ बनाने के क़दम की आलोचना

17 अक्टूबर को केंद्र सरकार द्वारा सभी मंत्रालयों को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि वे देश के सभी ज़िलों से ऐसे सरकारी अधिकारियों के नाम दें, जिन्हें मोदी सरकार की 'पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को दिखाने/जश्न मनाने' के एक अभियान के लिए 'जिला रथ प्रभारी (विशेष अधिकारी)' के तौर पर तैनात किया जाए.

आरएसएस ने कभी हिंसा को स्वीकार नहीं किया: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को संगठित करना मुसलमानों और ईसाइयों का विरोध नहीं है. कभी-कभी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है. कभी-कभी जैसे को तैसा जैसी प्रतिक्रिया होती है, लेकिन सही मायने में शांति और सहिष्णुता हिंदुत्व के मूल्य हैं.

इंदिरा गांधी नरेंद्र मोदी जितनी ‘भाग्यशाली’ होतीं, तो उन्हें इमरजेंसी की ज़रूरत नहीं पड़ती!

इंदिरा गांधी यदि नरेंद्र मोदी की तरह बिना आपातकाल वैसे हालात पैदाकर लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं के क्षरण को अंजाम दे सकतीं, तो भला आपातकाल का ऐलान क्यों करातीं?

‘वाजपेयी: द एसेंट ऑफ द हिंदू राइट’ में अटल बिहारी वाजपेयी की अनदेखी दुनिया दर्ज है

अभिषेक चौधरी द्वारा लिखी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी के पहले हिस्से 'वाजपेयी: द एसेंट ऑफ द हिंदू राइट' उनके राजकुमारी कौल से रिश्ते, उनकी बेटी नमिता समेत कई अनछुए पहलू दर्ज किए गए हैं. करण थापर से बातचीत में अभिषेक ने किताब के महत्व और इसे लिखने की ज़रूरत पर भी बात की है.

… मुल्क को आगे बढ़ना है और उसके लिए ज़रूरी है कि जो जहां है, वहीं ठप कर दिया जाए!

धर्मवीर भारती की ‘मुनादी’ कविता जब भी याद आती है तो याद आता है कि इस बीच उक्त इतिहास की ऐसी पुनरावृत्ति हो गई है कि इमरजेंसी की मुनादी बिना ही देश में इमरजेंसी से भी विकट हालात पैदा कर दिए गए हैं, मौलिक अधिकारों को छीनने की घोषणा किए बिना उन्हें सरकार की अनुकंपा का मोहताज बना दिया गया है.

विदेश मंत्री का बीबीसी द्वारा सिख विरोधी दंगों पर डॉक्यूमेंट्री न बनाने का दावा झूठा है

फैक्ट-चेक: नरेंद्र मोदी और गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर हमला बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि संस्थान ने 1984 के दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों पर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनाई. हालांकि इंटरनेट पर एक सामान्य सर्च बीबीसी द्वारा 1984 के नरसंहार और उससे जुड़ी कवरेज के कई प्रमाण दिखा देती है.

प्रख्यात न्यायविद् और पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण का 97 साल की आयु में निधन

प्रख्यात न्यायविद् और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण ने वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कराने वाले ऐतिहासिक मामले में शामिल थे. वे सार्वजनिक महत्व के कई मामलों में पेश हुए, जिसमें रफाल लड़ाकू विमान सौदा भी शामिल है.

रामचरितमानस को वर्णव्यवस्था का हिमायती और संविधान विरोधी बताने की बहस बहुत पुरानी है

बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरितमानस की आलोचना को लेकर अगर कुछ नया है तो वह है इस पर हुआ हंगामा. श्रमण संस्कृति के पैरोकार विद्वान व सामाजिक कार्यकर्ता, तुलसीदास व रामचरितमानस की आलोचना में न सिर्फ इससे कहीं ज़्यादा कडे़ शब्द इस्तेमाल कर चुके हैं. एक दौर में तुलसीदास को ‘हिंदू समाज का पथभ्रष्टक’ तक क़रार दिया जा चुका है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह समझना चाहिए कि सत्ता स्थायी नहीं होती: सत्यपाल मलिक

राजस्थान विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि सत्ता आती-जाती रहती है. इंदिरा गांधी की सत्ता भी चली गई जबकि लोग कहते थे कि उन्हें कोई हटा नहीं सकता. एक दिन आप भी चले जाएंगे इसलिए हालात इतने भी न बिगाड़े कि सुधारा न जा सके.

1 2 3 7