उदासीन पुलिस और असंवेदनशील जज 1984 के दंगा पीड़ितों को इंसाफ़ देने में विफल रहे: एसआईटी

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सदस्य एस. गुरलाद सिंह कहलों ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों में नामजद 62 पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की मांग की थी. मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस एसएन ढींगरा के नेतृत्व वाली एसआईटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि दंगों में 'दिखावटी' जांच की गई थी.

वे नेताओं की दुश्मनी के नहीं, सहयोग के परस्पर लेन-देन के दिन थे

उस दौर में हमारी राजनीति इतनी पतित हुई ही नहीं थी कि नेताओं द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों को दुश्मनों के रूप में देखा जाता, दुश्मन की तरह उनकी लानत-मलामत की जाती और उन्हें कमतर दिखाने या गिराने की कोशिश में ख़ुद को उनसे भी नीचे गिरा लिया जाता.

आज भी ‘ज़ह्हाक’ की सल्तनत में सवाल जुर्म हैं…

मोहम्मद हसन के नाटक ‘ज़ह्हाक’ में सत्ता के उस स्वरूप का खुला विरोध है जिसमें सेना, कलाकार, लेखक, पत्रकार, अदालतें और तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं सरकार की हिमायती हो जाया करती हैं. नाटक का सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुल्क की मौजूदा सत्ता में ‘ज़ह्हाक’ कौन है? क्या हमें आज भी जवाब मालूम है?

यूपी: 1984 के सिख विरोधी दंगों में संलिप्तता के आरोप में कानपुर में पांच वृद्ध गिरफ़्तार

यूपी सरकार ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों के दौरान कानपुर में 127 लोगों की मौत की फिर से जांच के लिए मई 2019 में एसआईटी का गठन किया था, जो कुल 11 मामलों की जांच कर रही है. इसे लेकर अब तक 11 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. पुलिस ने बताया कि एसआईटी ने पूर्व में 96 मुख्य संदिग्धों को चिह्नित किया था, उनमें से 22 की मौत हो चुकी है.

इतिहास से सत्ताधीशों की बदले की कार्रवाइयों को कैसे दर्ज करेगा इतिहास

इस बहुरंगी देश को इकरंगी बनाने की क़वायदें अब गणतांत्रिक प्रतीकों व विरासतों को नष्ट करने के ऐसे अपराध में बदल गई हैं कि उन्हें इतिहास से बुरे सलूक की हमारी पुरानी आदत से जोड़कर भी दरकिनार नहीं किया जा सकता.

‘अमर जवान ज्योति’ का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में जल रही लौ के साथ विलय किया गया

अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था. कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार का यह क़दम सैनिकों के बलिदान के इतिहास को मिटाने की तरह है.

गोधरा और सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले रिटायर्ड जस्टिस नानावटी का निधन

न्यायाधीश नानावटी ने 2002 के गोधरा दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट 2014 में गुजरात की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी. गोधरा दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे, जिसमें से ज़्यादातर लोग मुस्लिम समुदाय के थे. जस्टिस नानावटी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद को दंगों से संबंधित आरोपों में क्लीनचिट दी थी.

क्या महिला वोट से मुख्यमंत्री बनेंगी प्रियंका गांधी?

वीडियो: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने विधानसभा चुनाव से पहले लगातार सभाओं में भाग ले रही हैं. बीते दिनों गोरखपुर में ऐसी ही एक रैली को संबोधित करते हुए हुए उन्होंने कहा कि मर जाऊंगी, जान दे दूंगी, लेकिन भाजपा के साथ कभी मिलावट नहीं होने दूंगी. प्रियंका गांधी की चुनावी रणनीति पर वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी और निवेदिता झा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने बातचीत की.

उत्तर प्रदेश: क्या बड़ी रैलियां करके कांग्रेस अपनी खोई ज़मीन पाने में सफल होगी

गोरखपुर की रैली से कांग्रेस ने दिखाया है कि अब वह भी भाजपा, सपा, बसपा की तरह बड़ी रैली करने में सक्षम है. पार्टी पूर्वांचल में एक और रैली करने के बाद लखनऊ में बड़ी जनसभा करने की तैयारी में है. बड़ी रैलियां या जनसभाएं चुनावी सफलता की गारंटी नहीं हैं, लेकिन इनके ज़रिये कांग्रेस यह साबित करने की कोशिश करेगी कि लोग उससे जुड़ रहे हैं.

इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर अख़बारों में विज्ञापन नहीं देने पर पंजाब सरकार निशाने पर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर अख़बारों में विज्ञापन नहीं देने पर पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार की आलोचना की है. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में दिल्ली कांग्रेस की नई कार्यकारिणी समिति में एक स्थायी आमंत्रित सदस्य के तौर पर जगदीश टाइटलर की नियुक्ति की ओर इशारा किया और हैरानी जताई कि इंदिरा गांधी को याद करने के लिए पंजाब सरकार का विज्ञापन नहीं जारी करने का क्या इससे कोई संबंध है.

इंदिरा गांधी को अयोग्य क़रार देने का निर्णय बहुत साहस भरा था: सीजेआई एनवी रमना

इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि साल 1975 में वह जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा थे, जिन्होंने ऐसा आदेश पारित किया, जिसमें इंदिरा गांधी को अयोग्य क़रार दिया गया. इस निर्णय ने देश को हिलाकर रख दिया था.

आपातकाल के स्याह दिन बनाम अच्छे दिन

जनतंत्र को अपने ठेंगे पर रखे घूम रहे लठैतों के इस दौर में 46 साल पहले के आपातकाल के 633 दिनों पर खूब हायतौबा मचाइए, मगर पिछले 2,555 दिनों से भारतमाता की छाती पर चलाई जा रही अघोषित आपातकाल की चक्की के पाटों को नज़रअंदाज़ मत करिए.

1971: जब इंदिरा गांधी ने एक संयुक्त विपक्ष को हराया और सामंती ताक़तों को ख़त्म किया…

'ग़रीबी हटाओ' के नारे के साथ उस साल इंदिरा की जीत ने कांग्रेस को नई ऊर्जा से भर दिया था. 1971 एक ऐतिहासिक बिंदु था क्योंकि इंदिरा गांधी ने लक्ष्य और दिशा का एक बोध जगाकर सरकार की संस्था में नागरिकों के विश्वास की बहाली का काम किया.

1971, वह साल जब भारतीय क्रिकेट ने एक नए युग में प्रवेश किया

1971 में भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ को उनकी ज़मीन पर हराया था और देश में क्रिकेट को लेकर नई उम्मीदों और उत्साह का प्रसार हुआ था. उस समय में जवान हो रहे लोगों के लिए यह केवल खेल के मैदान में मिली जीत पर खुश होने का नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सामूहिक क्षमताओं से रूबरू होने का पल था.

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