विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
वीडियो: डॉलर के मुक़ाबले रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, एक डॉलर की क़ीमत 79 रुपये को भी पार कर गई है. इसका असर एक आम आदमी पर कितना पड़ सकता है? क्या पेट्रोल-डीज़ल के महंगे होने के पीछे का कारण भी डॉलर के बढ़ते दाम है? इन सभी सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में.
एलपीजी के दाम मई, 2022 से अब तक तीसरी बार और इस साल चौथी बार बढ़ाए गए हैं. कांग्रेस ने इसे 'जनविरोधी निर्णय' बताते हुए इस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की है. वहीं, टीएमसी ने तंज़ किया कि 'मोदी जी के अमृतकाल में मुश्किलें रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं.'
बीते बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.22 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था. हालांकि बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे मज़बूत होकर 78.07 पर पहुंच गया. अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ब्याज दरों में 0.75 फीसदी (75 आधार अंक) की वृद्धि की तथा इस दिशा में और क़दम उठाने के संकेत दिए जिससे रुपये को मज़बूती मिली.
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दो अंक में यानी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है. अप्रैल 2021 में यह 10.74 फ़ीसदी थी.
अप्रैल में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'निर्यात केंद्रित अर्थव्यवस्था' के निर्माण के सपने की बात की थी, लेकिन एक महीने के भीतर ही केंद्र सरकार ने गेहूं, कपास, चीनी और स्टील पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया कि बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है. केंद्रीय बैंक के इस क़दम से ऋण महंगा होगा और क़र्ज़ की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी.
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बताया है कि सरकार ने चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 100 लाख मीट्रिक टन तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया है. ये पाबंदी यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होगी.
मोदी सरकार सोचती है कि यह कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार को मनमर्ज़ी ढंग से नियंत्रित कर सकती है और किसानों और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाए बगैर अपने फ़ैसलों को रातोंरात बदल सकती है.
पिछले एक साल में सीएनजी की कीमतों में 32.21 रुपये प्रति किलोग्राम या 60 फीसदी तक की वृद्धि हो चुकी है. कीमतों में सात मार्च के बाद से यह 13वीं बढ़ोतरी है. इस दौरान कुल मिलाकर सीएनजी की कीमत 19.60 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ चुकी है. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि वास्तविक कटौती तब होगी, जब केंद्र उस सेस में कमी करे, जो वह पेट्रोल-डीज़ल पर वसूल करता है और इसे
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.
सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे टूटकर रिकॉर्ड निचले स्तर 77.50 पर बंद हुआ. इसे लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री देश की आर्थिक और सामाजिक वास्तविकताओं को छिपाकर नहीं रख सकते. अब उन्हें अर्थव्यवस्था के प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए न कि मीडिया की सुर्ख़ियों के प्रबंधन पर.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया है कि 53 देशों में लगभग 19.3 करोड़ लोगों को 2021 में खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा और यह स्थिति संघर्ष, असामान्य मौसम और कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों की तिहरी मार के कारण उत्पन्न हुई. यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध की वजह से वैश्विक खाद्य उत्पादन प्रभावित होने से यह स्थिति और भयावह होने जा रही है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन और खाद्य वस्तुओं के दाम में तेज़ी तथा कोविड-19 महामारी से जुड़ी आपूर्ति संबंधी बाधाओं के कारण मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने आरबीआई के 6 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है. लगभग दो वर्षों में रिज़र्व बैंक की प्रमुख उधार दरों में यह पहला बदलाव है. आरबीआई ने पिछली बार 22 मई, 2020 को अपनी नीतिगत रेपो दर को संशोधित किया था.
आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने स्वीकार किया जब प्रमुख ब्याज दर यानी नीतिगत दर बढ़ानी पड़ती है, कोई भी खुश नहीं होता. उन्होंने राजनेताओं और नौकरशाहों को यह समझने के लिए कहा कि यह उपाय कोई ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधि नहीं’, जो विदेशी निवेशकों को लाभांवित करेगा, बल्कि एक निवेश है, ‘जिसका सबसे बड़ा लाभार्थी भारतीय नागरिक है’.