देशभर के सूचना आयोगों के पास तीन लाख से अधिक अपीलें और शिकायतें लंबित: रिपोर्ट

12 अक्टूबर, 2023 को भारत में आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन के 18 वर्ष पूरे हुए हैं. इससे पहले सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर जारी एक रिपोर्ट बताती है कि देश के सूचना आयोगों में लंबित अपीलों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र (1,15,524)  और उसके बाद कर्नाटक (41,047) में है.

आवेदक की प्रामाणिकता के लिए आरटीआई के तहत मक़सद बताना ज़रूरी: दिल्ली हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की यह टिप्पणी आरटीआई एक्ट के उस प्रावधान के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि सूचना मांगने के लिए आवेदक को कोई कारण बताने की ज़रूरत नहीं है.

सरकारी अधिकारी 30 नवंबर तक संपत्ति की जानकारी दें वरना कार्रवाई होगी: सीवीसी

केंद्रीय सतर्कता आयोग ने कहा है कि कई अधिकारियों ने अब तक पिछले वर्ष के वार्षिक अचल या चल संपत्ति का रिटर्न दाख़िल नहीं किया है. रिटर्न दाख़िल नहीं करने पर दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है.

आरटीआई कार्यकर्ताओं का सवाल, केंद्रीय सूचना आयोग में सभी रिक्त पदों पर क्यों नहीं हुईं नियुक्तियां

मौजूदा समय में केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष 37,000 से अधिक अपीलें और शिकायतें लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष त्वरित सुनवाई के लिए दायर किए गए आवेदन के बाद हाल ही में मुख्य सूचना आयुक्त समेत तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां की गई हैं, जिसके बाद भी तीन पद अब भी रिक्त हैं.

प्रधानमंत्री मोदी पर किताब लिखने वाले पत्रकार को सूचना आयुक्त चुना गया, विपक्ष का कड़ा विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा सूचना आयुक्त के तौर पर पत्रकार उदय महुरकर की नियुक्ति पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि महुरकर ने इस पद के लिए आवेदन भी नहीं दिया था और वे 'खुले तौर पर भाजपा के समर्थक' हैं.

छह साल में पांचवीं बार केंद्रीय सूचना आयोग के अध्यक्ष का पद ख़ाली

साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से एक भी बार ऐसा नहीं हुआ है कि मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति में देरी न हुई हो. कई बार आरटीआई कार्यकर्ताओं को अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा है.

लॉकडाउन के दौरान 29 में से 21 सूचना आयोग आरटीआई मामलों की कोई सुनवाई नहीं कर रहे

सतर्क नागरिक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 11 सूचना आयोगों की वेबसाइट पर लॉकडाउन में कामकाज के संबंध में कोई भी नोटिफिकेशन उपलब्ध नहीं था. बिहार, मध्य प्रदेश और नगालैंड राज्य सूचना आयोगों की वेबसाइट ही काम नहीं कर रही थी.

लॉकडाउन: देश भर के सूचना आयोगों की स्थिति बदहाल, कब शुरू होगी सुनवाई, कुछ पता नहीं

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के टेलिफोनिक सर्वे में ये जानकारी सामने आई है कि देश के अधिकतर सूचना आयोग एकाध स्टाफ के सहारे काम कर रहे हैं. अधिकतर आयोगों के ऑफिस नंबर या हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर किसी ने जवाब नहीं दिया.

राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी केंद्रीय सतर्कता आयुक्त नियुक्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय चयन समिति ने फरवरी में राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी के नाम की अनुशंसा की थी. उस समय कांग्रेस ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति के लिए अपनाई प्रक्रिया को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ बताया था और फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की थी.

मोदी सरकार ने नए सीवीसी और सीआईसी की नियुक्ति की, चयन प्रक्रिया पर उठ रहे कई सवाल

आलम ये है कि चयन समिति के एक सदस्य वित्त सचिव राजीव कुमार ने भी सीवीसी पद के लिए आवेदन किया था और उन्हें इसके लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था.

केंद्रीय सूचना आयोग में 13,000 से अधिक मामले एक साल से अधिक समय तक लंबित: सरकार

गैर-सरकारी संस्था सतर्क नागरिक संगठन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि आयोगों में लंबित मामलों का प्रमुख कारण सूचना आयुक्तों की नियुक्ति न होना है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर के 26 सूचना आयोगों में 31 मार्च 2019 तक कुल 2,18,347 मामले लंबित थे.

केंद्र ने आरटीआई कानून के नए नियमों की घोषणा की, सीआईसी का कार्यकाल घटकर तीन साल हुआ

आरटीआई कार्यकर्ताओं ने नए नियमों को सूचना आयोगों की स्वतंत्रता एवं उनकी स्वायत्तता पर हमला करार दिया है.

सरकार ने ख़ुद सूचनाओं का खुलासा कर आरटीआई अर्ज़ी दायर करने की ज़रूरत कम की: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय सूचना आयोग के 14 वें वार्षिक सम्मेलन में कहा कि आरटीआई आवेदनों की अधिक संख्या में किसी सरकार की सफलता नहीं छिपी होती.

आरटीआई रिपोर्ट कार्ड: खाली पद और लंबित मामलों से जूझ रहे देश भर के सूचना आयोग

आरटीआई कानून लागू होने की 14वीं सालगिरह पर जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी सूचना आयुक्तों की समय पर नियुक्ति नहीं हो रही है. इसकी वजह से देश भर के सूचना आयोगों में लंबित मामलों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है और लोगों को सही समय पर सूचना नहीं मिल पा रही है.