पुस्तक समीक्षा: पत्रकार करण थापर के साक्षात्कारों के पीछे की कहानियां

नेताओं के स्तुतिगान करने के इस दौर में आमने-सामने बैठकर आंखों में आंखें डालकर कड़े और कठिन सवालों के लिए जाने जाने वाले करण थापर की किताब ‘मेरी अनसुनी कहानी’ को पढ़ना सुकून देता है, क्योंकि असहमति और सवाल पूछना ही लोकतंत्र की ताक़त है.