उदयपुर में हुई नृशंसता के बावजूद इस प्रचार को क़बूल नहीं किया जा सकता कि हिंदू ख़तरे में हैं. इस हत्या के बहाने जो लोग मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा प्रचार कर रहे हैं, वे हत्या और हिंसा के पैरोकार हैं. यह समझना होगा कि एक सुनियोजित षड्यंत्र चलाया जा रहा है कि किसी घटना पर हिंदू, मुसलमान एक साथ एक स्वर में न बोल पाएं.
पिछले हफ़्ते एक अधिकारी ने दावा किया था कि नूपुर शर्मा को समन देने के लिए दिल्ली गई मुंबई पुलिस की एक टीम उन्हें नहीं ढूंढ पाई थी. फ़िर उन्हें ईमेल के ज़रिये समन भेजकर 25 जून को दक्षिण मुंबई के पायधुनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया था. इसी तरह अमहर्स्ट स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद कोलकाता पुलिस ने उन्हें समन जारी कर पेश होने को कहा था.
निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा के दौरान 20 वर्षीय मोहम्मद साहिल और 15 वर्षीय मुदस्सिर आलम की गोली लगने से मौत हो गई थी.
उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में इत्तिहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा के आह्वान पर भाजपा नेता नूपुर शर्मा की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर बीते 19 जून आयोजित कार्यक्रम में निर्धारित संख्या से अधिक लोगों के शामिल होने पर आयोजकों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है. इधर पैगंबर पर टिप्पणी को लेकर कोलकाता के एक थाने में दर्ज मामले में निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा पेश नहीं हुईं.
नूपुर शर्मा उन्हें सिखाए गए तरीके से ही खेल रही थीं. अतीत में उन्हें या भाजपा की ओर से बोलने वाले उनके किसी भी सहकर्मी को कभी भी हिंसक मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों के लिए फटकार नहीं मिली. असल में तो ऐसा लगता है कि यह पार्टी के शीर्ष नेताओं की नज़र में आने का बढ़िया तरीका रहा है.
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी मंदार विधानसभा सीट पर उपचुनाव प्रचार के लिए झारखंड आए थे. इस दौरान रांची हवाईअड्डे पर पहुंचने पर कथित तौर पर पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. पार्टी की ओर से कहा गया है कि यह उसकी छवि को ख़राब करने की कोशिश है.
वीडियो: निलंबित भाजपा नेता- नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के बाद भारत के कई राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे. अरब देशों ने भी विरोध दर्ज कराया था. उत्तर प्रदेश में प्रशासन ने हिंसा के आरोपियों के घर तक बुलडोज़र से गिरवा दिए. द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से इन मुद्दों पर चर्चा की.
पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ 28 मई को रज़ा अकादमी के संयुक्त सचिव इरफ़ान शेख़ की शिकायत पर दक्षिण मुंबई के पायधुनी थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई थी. शर्मा को बयान दर्ज कराने के लिए 25 जून को पायधुनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम भाजपा के दो (पूर्व) पदाधिकारियों की अपमानजनक टिप्पणियों की निंदा करते हैं. यह देखकर ख़ुशी हुई कि पार्टी ने उनके बयानों की सार्वजनिक तौर पर निंदा की. हम भारत को मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
रांची में पुलिस ने मंगलवार को 10 जून की हिंसा में वांछित लोगों के पोस्टर जारी किए थे. बाद में तकनीकी त्रुटि का हवाला देते हुए इन्हें सुधार कर दोबारा जारी करने की बात कही गई. सत्तारूढ़ झामुमो और कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा इसके विरोध के बीच गृह सचिव ने रांची एसएसपी से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है.
कुवैत के क़ानूनों के अनुसार खाड़ी देश में प्रवासियों द्वारा धरना या प्रदर्शन करने की मनाही है. यहां बीते 10 जून को पैगंबर मोहम्मद के समर्थन में प्रवासियों ने प्रदर्शन किया था. कुवैत उन कुछ देशों में से एक है, जिसने निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की टिप्पणियों को लेकर भारतीय राजदूत को समन भेजा था.
पैगंबर मोहम्मद के बारे में निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की टिप्पणियों को लेकर पैदा हुए आक्रोश के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत सरकार ने इस्लामी देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने के लिए जो प्रभावशाली क़दम उठाए हैं, उनके कमज़ोर होने का ख़तरा पैदा हो गया है. कुछ लोग प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी को, जो कुछ हो रहा है, उसके समर्थन के तौर पर देख रहे हैं.
भाजपा देर से ही सही नूपुर शर्मा व नवीन जिंदल के विरुद्ध इतनी सख़्त हो गई कि पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए उनके बयानों से ख़ुद को अलग करती हुई उन्हें ‘शरारती तत्व’ क़रार दे रही है. सवाल ये है कि क्या वह अब तक उनका बचाव करते आ रहे नेताओं के साथ भी ऐसी सख़्ती बरतेगी और इनकी तरह उन्हें भी माफ़ी मांगने को मजबूर करेगी?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी का विरोध करना मुसलमानों का संवैधानिक अधिकार है. पुलिस गोलीबारी, बुलडोज़र का इस्तेमाल और ‘अंधाधुंध तरीके से लोगों को गिरफ़्तार करके’ इस अधिकार का हनन करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए ‘शर्म की बात’ है.
शुक्रवार को औरंगाबाद में हुए एक प्रदर्शन के दौरान यहां से एआईएमआईएम सांसद और पूर्व पत्रकार इम्तियाज़ जलील ने नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर उन्हें (शर्मा को) फांसी देनी है तो उसी चौराहे पर देनी चाहिए. पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बयान से दूरी बनाते हुए कहा कि पार्टी का रुख़ जलील के बयान से अलग है.