आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवाद से भी ज़्यादा ख़तरनाक है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि आतंकवाद का ख़तरा किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही जोड़ा जाना चाहिए.

चीन ने पाकिस्तानी आतंकी रऊफ़ अज़हर को यूएन द्वारा ब्लैक लिस्ट करने से रोका, भारत ने की निंदा

पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर के भाई और संगठन में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले अब्दुल रऊफ़ अज़हर को संयुक्त राष्ट्र में ब्लैक लिस्ट में डालने का प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर चीन द्वारा तकनीकी तौर पर रोक लगा दी गई. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे खेदजनक और गै़र-ज़रूरी क़दम क़रार दिया है.

पाकिस्तान: आतंकी फंडिंग के मामलों में मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को सजा

मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तथा कुख्यात आतंकवादी एवं जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने पंजाब प्रांत में आतंकवाद को वित्त पोषण करने के दो मामलों में साढ़े पांच साल-साढ़े पांच साल कैद की सजा सुनाई और 15-15 हजार का जुर्माना भी लगाया. दोनों मामलों की सजा साथ साथ चलेंगी.

दाऊद इब्राहिम, मसूद अज़हर, हाफ़िज़ सईद और ज़की-उर-रहमान लखवी नए क़ानून के तहत आतंकवादी घोषित

केंद्र सरकार द्वारा गैरक़ानूनी गतिविधियां रोकथाम क़ानून (यूएपीए) 1967 में संशोधन को मंज़ूरी दिए जाने के करीब एक महीने बाद ये निर्णय लिए गए हैं. नया क़ानून केंद्र सरकार को यह शक्ति देता है कि वह किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित की सकती है, अगर वह आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है या उसमें शामिल होता है या उसको बढ़ावा देता है.

2008 मुंबई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड हाफ़िज़ सईद गिरफ़्तार

बीते तीन जुलाई को प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के हाफ़िज़ सईद सहित संगठन के 13 लोगों पर आतंक रोधी अधिनियम के तहत आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के कई केस दर्ज किए गए थे.

लोकसभा चुनाव से पहले पुलवामा हमला भाजपा के लिए तोहफाः पूर्व रॉ प्रमुख

रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत का कहना है कि राष्ट्रवाद युद्ध की ओर ले जाता है. हमें कश्मीरी नागरिकों से बात करनी चाहिए क्योंकि आगे बढ़ने का यही एक रास्ता है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पुलवामा में आतंकी हमले की निंदा की

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में जघन्य और कायरान तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए थे और इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.

जम्मू कश्मीर: पुलवामा में सेना के मेजर समेत चार जवान शहीद, आतंकियों से मुठभेड़ जारी

पुलवामा के पिंगलान इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की एक संयुक्त टीम ने कार्रवाई शुरू की थी. इस मुठभेड़ में एक आम नागरिक की भी मौत हो गई है.

जम्मू में तीसरे दिन भी कर्फ्यू जारी, कश्मीर रहा बंद

पुलवामा ज़िले के सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के ख़िलाफ़ जम्मू में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन और हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं थीं, जिसके चलते शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था.

नक्सली क्षेत्रों की तुलना में जम्मू कश्मीर में बम विस्फोट के मामले 57 फीसदी बढ़े: रिपोर्ट

नेशनल बम डेटा सेंटर की नई रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 2014 में 37 बम धमाके, 2015 में 46 बम धमाके, 2016 में 69 बम धमाके, 2017 में 70 बम धमाके और 2018 में 117 ऐसे बम धमाके हुए.

दवा कंपनी ज़ाइडस हेल्थकेयर ने पुलवामा हमले पर टिप्पणी को लेकर अधिकारी को निलंबित किया

जम्मू कश्मीर के पुलवामा ज़िले में आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्सों में गिरफ़्तारियां हुई हैं.

पुलवामा आतंकी हमला: सबक सिखाने से ज़्यादा सीखना ज़रूरी

किसी आतंकी हमले के बाद निंदा और बदले के बजाय इंसाफ़ और समाधान की बात क्यों नहीं की जाती? अभी जिस बदले की हमारे सत्ताधीश बात कर रहे हैं, कभी उन्होंने इस बात पर ग़ौर किया है कि क्या उसका कोई सार्थक परिणाम निकलेगा?

उत्तराखंड: भीड़ द्वारा हमले के डर से कश्मीरी छात्रों ने खुद को कमरे में बंद किया

पुलवामा आतंकी हमले के बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद समेत हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों ने राज्य में कश्मीर के 12 छात्रों की पिटाई कर दी थी. इसके बाद से ही राज्य में कश्मीरी छात्रों के बीच डर का माहौल है. हालांकि पुलिस ऐसी किसी घटना से इनकार कर रही है.

पुलवामा हमले के बाद कश्मीर के असली मुद्दे को फिर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है

आख़िर क्यों स्थानीय कश्मीरी, जो अपेक्षाकृत रूप से पढ़े-लिखे और संपन्न हैं, इस तरह अपनी जान दांव पर लगाने को तैयार हो जाते हैं?