कठुआ मामले की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई तक रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई चंडीगढ़ में कराने और सीबीआई को जांच सौंपने की याचिका पर विचार करने के बाद कठुआ में चल रही कार्यवाही पर सात मई तक रोक लगा दी है.

हमारी ‘असल चिंता’ कठुआ मामले की निष्पक्ष सुनवाई को लेकर है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ में बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के दो आरोपियों की उस याचिका पर विचार करने को हामी भर दी है जिसमें उन्होंने मुक़दमे की सुनवाई जम्मू से बाहर स्थानांतरित नहीं करने और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया है.

कठुआ गैंगरेप: आरोपियों ने ख़ुद को बताया बेक़सूर, नार्को टेस्ट की मांग की

अपराध शाखा द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, बच्ची का अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए रची गई एक सोची-समझी साज़िश थी.

‘मुंह फेर कर गुज़र जाने’ का वक़्त अब नहीं रहा, कठुआ के बाद तो बिल्कुल नहीं

इस तरह के पागलपन और दरिंदगी के आलम में हमारा पूरा वजूद सुन्न पड़ जाता है. एक मायूसी भरा सन्नाटा सबको अपनी चपेट में ले लेता है. मगर फिर एक मुकाम वो भी आता है, जहां यही मायूसी एक भयानक गुस्से में तब्दील हो जाती है.

नफ़रत की यह राजनीति आपका इस्तेमाल करेगी और हत्यारा बना देगी

लोग आपको तिरंगे की चादर में लपेट कर हिंदुत्व का मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण दे रहे थे, इसलिए नहीं कि आप सात्विक और आध्यात्मिक बन जाएं बल्कि किसी की हत्या के वक़्त हिंदुत्व के नाम पर आप चुप रहना सीख लें.

इन दो लड़कियों को इंसाफ़ नहीं मिला तो ये देश शर्मिंदगी से कभी उबर नहीं पाएगा

हिंदू-मुसलमान, ऊंची जाति, नीची जाति, नॉर्थ इंडियन, साउथ इंडियन, काले-गोरे, हरे, पीले, लाल, गुलाबी, भगवा, कत्थई. सब बन लिए. अब जरा भारतीय बनकर भारत को बचा लो.

कठुआ बलात्कार-हत्या मामले में जो कुछ हो रहा है, वो हमारी इंसानियत पर सवाल खड़ा करता है

जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ साल की मासूम से सामूहिक बलात्कार और जघन्य हत्या के मामले में पुलिस, वकील और राजनेताओं की भूमिका ने संवेदनहीनता के नए प्रतिमान गढ़ने का काम किया है.