लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी ज़ाहिद फ़ारुख़ को सुरक्षा बलों ने 19 मई 2016 को सीमा पर लगी बाड़ को पार कर भारत में दाख़िल होने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया था. राज्य सरकार ने कहा कि खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिली है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े आतंकी जेल में बंद अन्य कैदियों को प्रभावित करने का काम कर रहे हैं.
2010 सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया टॉपर रहे पहले कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने ‘कश्मीर में हो रही हत्याओं, हिंदुत्ववादियों द्वारा भारतीय मुसलमानों को हाशिये पर धकेलने, असहिष्णुता और बढ़ती नफ़रत’ का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दे दिया.
इस साल जनवरी में जम्मू में हुए कठुआ बलात्कार और हत्या मामले के एक आरोपी ने केस में हुई जांच को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए दोबारा जांच की मांग की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ख़ारिज कर दिया.
असीम साहनी जम्मू के चर्चित वकील एके साहनी के बेटे हैं, जो कठुआ मामले के आरोपियों के प्रमुख वकील हैं. असीम भी मामले में आरोपियों की ओर से पेश हो चुके हैं.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने इस मामले को अच्छी तरह संभाला है. कोई भी गलत कदम ऐसे हालातों को जन्म दे सकता था जहां पूरा राज्य सांप्रदायिकता की आग में जल गया होता.
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बार काउन्सिल ऑफ इंडिया, राज्य बार काउन्सिल, जम्मू हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और कठुआ जिला बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर 19 अप्रैल तक जवाब मंगा हैं.
जन गण मन की बात की 193वीं कड़ी में विनोद दुआ विभिन्न क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश की बदहाली और जम्मू कश्मीर में भाजपा पीडीपी गठबंधन की असफलताओं पर चर्चा कर रहे हैं.
कश्मीर के हालात अब न सैनिकों के लिए अच्छे रह गए हैं, न वहां की जनता के लिए. दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति संदेह का पहाड़ खड़ाकर कर दिया गया है जो रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि कश्मीर की बिगड़ती सुरक्षा स्थिति की वजह से घाटी में सेना की तैनाती में इज़ाफ़ा हुआ है. यदि स्थिति बिगड़ती है, तो सुरक्षा बलों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.
पुलिस ने पाया कि चोटी काटने के लिए हुई पिटाई के मामले प्रेम-प्रसंग, व्यापार, निजी रंज़िश या वसूली से जुड़े थे.
इन घटनाओं से जुड़ी अफवाह उड़ाने के संबंध में कश्मीर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया. घटनाओं को लेकर घाटी में प्रदर्शन जारी.
मामले में केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से मांगा था समय. शीर्ष अदालत ने तीन महीने के भीतर फैसला लेने को कहा.
जम्मू कश्मीर मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को दिया निर्देश.
सरकार के हिंसा पर एकाधिकार को तब ही स्वीकार किया जा सकता है जब वह क़ानून के दायरे में हो; अगर ऐसा नहीं है तब कोई उसके इस एकाधिकार को तोड़ता है तो उसे ग़लत नहीं ठहराया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह जम्मू कश्मीर में पथराव करने वाली भीड़ से निपटने के लिए पैलेट गनों की बजाय अन्य प्रभावी तरीकों का प्रयोग करे क्योंंकि यह ज़िंदगी और मौत का मामला है.