लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहाड़ी जातीय जनजाति, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण समुदायों को 10% आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, ओबीसी का कोटा भी 4% से बढ़ाकर 8% कर दिया है. विपक्ष ने इसे भाजपा के चुनावी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उठाया गया कदम बताया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने घोषणा की है कि पार्टी कश्मीर घाटी में सभी तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जम्मू क्षेत्र में दो सीटों पर कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए कहा है, जबकि लद्दाख सीट पर उसका और कांग्रेस का सर्वसम्मति वाला उम्मीदवार होगा. हालांकि, पीडीपी अनंतनाग-राजौरी सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी.
महाराष्ट्र के एक प्रोफेसर के ख़िलाफ़ जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की आलोचना करने और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने के चलते एफआईआर दर्ज की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करते हुए कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू कश्मीर की स्थिति में किए गए बदलाव की आलोचना करने का हक़ है.
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जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने अक्टूबर 2021 में दावा किया था कि उन्हें परियोजना से संबंधित दो फाइलों को मंज़ूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. हालांकि उन्होंने सौदों को रद्द कर दिया था. इस आरोप के आधार पर सीबीआई ने मामले में दो मामले दर्ज किए थे.
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‘कारवां’ पत्रिका को आईटी अधिनियम के तहत मिले एक नोटिस में कहा गया है कि अगर वह 24 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट से जम्मू कश्मीर में सेना द्वारा आम नागरिकों की कथित हत्या से संबंधित लेख नहीं हटाती है, तो पूरी वेबसाइट हटा दी जाएगी. पत्रिका ने इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही है.
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहली बार है कि मानवाधिकार का मुद्दा आधिकारिक स्तर पर उठाया जाएगा. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक नोटिस में कहा गया है कि इसकी एक समिति 7 फरवरी से 9 फरवरी तक श्रीनगर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के संबंध में आम जनता की शिकायतों पर सुनवाई करेगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलकर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' करने को कहा गया था. लद्दाख में क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली बौद्ध संगठन और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने इसे सूबे के लोगों की भावनाओं का अपमान बताया है.
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वीडियो: जम्मू-कश्मीर के हालात, राम मंदिर, सांप्रदायिकता, मोदी सरकार के कामकाज समेत विभिन्न मुद्दों पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की बातचीत.
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप कर जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव पर निर्देश पारित करना पड़ा. उन्होंने राजस्थान के साथ 40 साल के लिए बिजली ख़रीद समझौते का भी विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह हमारे संसाधनों की लूट है.
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला 2001 से 2012 तक जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे. समन में उन्हें श्रीनगर में ईडी कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है. उनके ख़िलाफ़ आरोप है कि उन्होंने एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में अपने पद का ‘दुरुपयोग’ कर खेल निकाय में नियुक्तियां की थीं.
पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने अपने पिता और पीडीपी संस्थापक मुफ़्ती मोहम्मद सईद की पुण्यतिथि पर कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों में आतंकवादियों से बात में शामिल है, जबकि जम्मू-कश्मीर में आपने आम लोगों को आतंकवादी क़रार दिया है. उन्हें गिरफ्तार कर जेलें भर दी हैं. उन्होंने पूछा कि कोई अपने नागरिकों के साथ ऐसा करता है क्या?