‘जेएनयू प्रशासन चाहता है कि उसके ग़लत फैसलों का विरोध न हो, वे जैसे चाहें यूनिवर्सिटी चलाएं’

बीते महीने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने नए नियमों में कैंपस के किसी भी शैक्षणिक या प्रशासनिक भवन के पास धरना देने, विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल पर 20,000 रुपये के जुर्माने, कैंपस से निष्कासन की बात कही थी. 23 दिसंबर को इसके विरोध में छात्रों ने परिसर में मशाल मार्च निकाला.

जेएनयू: विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल पर 20,000 रुपये का जुर्माना, कैंपस से निष्कासन भी हो सकता है

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने अपने कैंपस के किसी भी शैक्षणिक या प्रशासनिक भवन के पास धरना देने, भूख-हड़ताल करने या किसी अन्य प्रकार के विरोध पर रोक लगाने के लिए नए नियम जारी किए हैं. इसके अलावा फ्रेशर्स की स्वागत पार्टियों, विदाई या डीजे कार्यक्रम जैसे आयोजन करने पर भी दंड का प्रावधान किया गया है.

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार को यूजीसी का अध्यक्ष बनाया गया

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, एम. जगदीश कुमार को पांच साल की अवधि के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वहीं, जेएनयू के छात्र संघ और शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय के कुलपति को यूजीसी का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि कुमार को सरकार का एजेंडा लागू करने के लिए पुरस्कृत किया गया है.

दिल्ली दंगा: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद ने जेल में चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने का आरोप लगाया

जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व नेता उमर ख़ालिद को उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में बीते सितंबर महीने में गिरफ़्तार किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन दिन से दांत दर्द की शिकायत के बाद भी तिहाड़ जेल प्रशासन ने कोई इलाज मुहैया नहीं कराया है.

अनिवार्य हाज़िरी पर छात्रों से लिए गए हलफ़नामे पर अमल नहीं करे जेएनयू: अदालत

दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू प्रशासन से कहा कि जब अनिवार्य अटेंडेंस का मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो फिर छात्रों से हलफ़नामा लेने की क्या ज़रूरत थी.

देशद्रोह विवाद: जेएनयू पैनल ने उमर खालिद, कन्हैया के दंड को बरक़रार रखा

जेएनयू के पांच सदस्यीय पैनल ने नौ फरवरी 2016 की घटना के मामले में उमर खालिद के निष्कासन और कन्हैया कुमार पर लगाए गए 10,000 रुपये के जुर्माने को बरक़रार रखा है.

जेएनयू छात्रसंघ का आरोप, अटेंडेंस के लिए डीन ने छात्रों को बंधक बनाया

जेएनयू प्रशासन द्वारा उपस्थिति अनिवार्य करने के फैसले का विरोध एबीवीपी, एनएसयूआई, बापसा समेत जेएनयू के प्रमुख छात्र संगठन कर रहे हैं.

जेएनयू के कुलपति पर विश्वविद्यालय को स्कूल बनाने का आरोप क्यों लग रहा है?

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य करने के प्रशासन के फैसले को छात्र-छात्राएं और शिक्षकों का एक समूह जेएनयू की परंपरा के ख़िलाफ़ बता रहा है.