आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोपों में दो प्रमुख मीडिया समूहों- दैनिक भास्कर और उत्तर प्रदेश के हिंदी समाचार चैनल भारत समाचार के परिसरों पर बीते 22 जुलाई को छापा मारा था. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि दैनिक भास्कर द्वारा कोविड-19 महामारी पर की गई उस गहन रिपोर्टिंग की पृष्ठभूमि के ख़िलाफ़ ये छापेमारी की गई हैं, जिसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा घोर कुप्रबंधन और मानव जीवन के भारी नुकसान को सामने लाया गया था.
स्मृति शेष: दुनिया के हर देश के किसी भी सामान्य मीडिया संस्थान में मुरली जैसे लोग होते हैं. ये स्वतंत्र प्रेस के अनदेखे-अनसुने नायक होते हैं, जिनकी मेहनत के चलते पत्रकार वो कर पाते हैं, जो वो करते हैं. उनके लिए कोई अवॉर्ड, कोई सराहना नहीं होती पर रिपोर्टर द्वारा संस्थान को मिल रहे सम्मान को वे अपना समझकर संजोते हैं.
डिजिटल मीडिया आज़ाद आवाज़ों की जगह है और इस पर ‘सबसे बड़े जेलर’ की निगाहें हैं. अगर यही अच्छा है तो इस बजट में प्रधानमंत्री जेल बंदी योजना लॉन्च हो, मनरेगा से गांव-गांव जेल बने और बोलने वालों को जेल में डाल दिया जाए. मुनादी की जाए कि जेल बंदी योजना लॉन्च हो गई है, कृपया ख़ामोश रहें.
समाचार चैनल एनडीटीवी की पूर्व कार्यकारी संपादक निधि राज़दान ने जून 2020 में ट्वीट कर बताया था कि उन्हें अमेरिका स्थित प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एसोसिएट प्रोफ़ेसर की नौकरी का प्रस्ताव मिला है, जिसके बाद उन्होंने पत्रकारिता को अलविदा कह दिया था. ऑनलाइन धोखाधड़ी के इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा करेगी.
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर इस महीने की शुरुआत में कम से कम 274 पत्रकारों को जेल जाना पड़ा जिनमें 36 महिला पत्रकार हैं. पत्रकारों को जेल में रखने के मामले में चीन सबसे ऊपर है.
पत्रकारिता और देशभक्ति का साथ विवादास्पद है. देशभक्ति अक्सर सरकार के पक्ष का आंख मूंदकर समर्थन करती है और फिर प्रोपगेंडा में बदल जाती है. आज सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर अपना प्रोपगेंडा फैलाने की कला में पारंगत हो चुकी है और जिन पत्रकारों पर सच सामने रखने का दारोमदार था, वही इसमें सहभागी हो गए हैं.
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत शीर्ष नेताओं ने स्वतंत्र प्रेस को ‘लोकतंत्र की आत्मा’ बताया और कहा कि प्रेस की आज़ादी पर किसी भी प्रकार का हमला राष्ट्रीय हितों के लिए नुकसानदेह है और हर किसी को इसका विरोध करना चाहिए.
इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के मास्टर ऑफ जर्नलिज़्म की सालाना परीक्षा एक पेपर में पूछे गए सवालों पर एनएसयूआई का आरोप है कि विश्वविद्यालय का ‘भाजपायीकरण’ हो चुका है और परीक्षाओं तक में इसी दल के पक्ष में सवाल पूछे जा रहे हैं. हालांकि जांच के बाद प्रबंधन ने पेपर को क्लीनचिट दे दी.
वीडियो: ख़बरें देने के नाम पर भारतीय टीवी चैनलों पर कोई 'यूपीएससी ज़िहाद' दिखा रहा है, तो कोई पढ़े-लिखों को किसी झूठे केस में फंसाने की सियासी साज़िश में जुटा है. मीडिया बोल की इस कड़ी में इन्हीं मुद्दों पर सत्य हिंदी के संपादक शीतल सिंह और वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता से चर्चा कर रहे हैं उर्मिलेश.
राम जेठमलानी मेमोरियल लेक्चर के पहले संस्करण में वकीलों ने आपराधिक मामलों और अदालतों में चल रहे मामलों की जांच को प्रभावित करने के लिए मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यधारा के मीडिया और सोशल मीडिया का संयोजन एक ख़तरनाक कॉकटेल बन गया है, जो क़ानून के लिए ठीक नहीं है.
वीडियो: समाचार चैनलों के बीच गलाकाट टीआरपी की रेस, एजेंडा सेटिंग और वर्चस्व की शक्तियों के औज़ार बनने की कहानी का क्या सच है? इस मुद्दे पर सत्य हिंदी के संपादक आशुतोष, आज तक के पूर्व संपादक नवीन कुमार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते मीडिया में नौकरियों के जाने का सिलसिला लगातार जारी है. सोमवार को द हिंदू के मुंबई ब्यूरो के 20 पत्रकारों को एचआर विभाग की ओर से इस्तीफ़ा देने को कहा गया है.
रिपोर्टिंग की प्रथा को संस्थानों के साथ समाज ने भी ख़त्म किया, वह अपनी राजनीतिक पसंद के कारण मीडिया और जोख़िम लेकर ख़बरें करने वालों को दुश्मन की तरह गिनने लगा. कोई भी रिपोर्टर एक संवैधानिक माहौल में ही जोखिम उठाता है, जब उसे भरोसा होता है कि सरकारें जनता के डर से उस पर हाथ नहीं डालेंगी.
पांच साल पहले हमने कहा था कि हम नये तरीके से ऐसे मीडिया का निर्माण करना चाहते हैं जो पत्रकारों, पाठकों और जिम्मेदार नागरिकों का संयुक्त प्रयास हो. हम अपने इस सिद्धांत पर टिके रहे हैं और यही आगे बढ़ने में हमारी मदद करेगा.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मिस्र में बीते चार साल से मीडिया घरानों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है, असंतुष्ट आवाजों को इस हद तक दबाया जा रहा है कि वहां पत्रकार होना एक अपराध बन गया है.