‘लव जिहाद’ क़ानून का सफ़र: सबूतों के बगैर एक झूठ को सच बनाने की अनवरत कोशिश

बीते कुछ समय में देश के कई राज्यों में कथित तौर पर मुस्लिम पुरुषों के हिंदू महिलाओं से शादी करने की बढ़ती घटनाओं के आधार पर 'लव जिहाद' से जुड़े क़ानून को जायज़ ठहराया गया है. लेकिन क्या इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई वास्तविक सबूत मौजूद है?

उपराष्ट्रपति को सीजेआई का जवाब- संविधान का मूलभूत ढांचा ध्रुव तारे की तरह मार्गदर्शन करता है

भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आगे का रास्ता जटिल होता है तो भारतीय संविधान की मूल संरचना अपने व्याख्याताओं और कार्यान्वयन करने वालों को मार्गदर्शन और निश्चित दिशा दिखाती है. बीते दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि 1973 में केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मूलभूत ढांचे में संसद द्वारा बदलाव न किए जाने की ग़लत परंपरा रखी थी.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की हालिया टिप्पणियों के पीछे क्या मक़सद है?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केशवानंद भारती फैसले की वैधता पर सवाल उठाया है, जिसका आशय है कि संसद को संविधान में संशोधन करने का संप्रभु अधिकार होना चाहिए, चाहे वह संविधान के बुनियादी ढांचे का अतिक्रमण ही क्यों न करता हो.

भागवत व धनखड़ के बोल: सवाल संविधान की सर्वोच्चता का है…

संघ प्रमुख की मुसलमानों से अपना ‘श्रेष्ठताबोध’ छोड़ने को कहकर उनकी भारतीयता की शर्त तय करने की कोशिश हो या उपराष्ट्रपति की विधायिका का ‘श्रेष्ठताबोध’ जगाकर उसके व न्यायपालिका के बीच का संतुलन डगमगाने की, दोनों के निशाने पर देश का संविधान ही है.

सरकार, न्यायपालिका को धमका रही है, ताकि उस पर क़ब्ज़ा कर सके: विपक्ष

केंद्र और न्यायापालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर चल रही खींचतान के बीच क़ानून मंत्री किरेन रिजीजू ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे गए पत्र की सामग्री सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की टिप्पणी और निर्देश के अनुरूप है.

सरकार स्वतंत्रता के अंतिम स्तंभ ‘न्यायपालिका’ पर क़ब्ज़ा चाहती है: कपिल सिब्बल

जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर पूर्व क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार इस तथ्य से सामंजस्य नहीं बैठा पा रही है कि उच्च न्यायपालिका में होने वाली नियुक्तियों को लेकर उसकी बात अंतिम नहीं है.

क़ानून मंत्री ने सीजेआई को लिखा- कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि शामिल करें

केंद्र और न्यायापालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर चल रही खींचतान के बीच अब केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखा है कि केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को हाईकोर्ट के कॉलेजियम में जगह दी जानी चाहिए.

कॉलेजियम ने क़ानून मंत्रालय से कहा- नाम दोहराए जाने पर सरकार जजों की नियुक्ति के लिए बाध्य

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, जिसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं, ने केंद्रीय क़ानून मंत्रालय को एक विस्तृत नोट भेजते हुए कहा है कि जजों के नाम की सिफ़ारिश को लेकर कॉलेजियम के फैसले की फिर से पुष्टि होने के बाद सरकार नियुक्ति अधिसूचित करने के लिए बाध्य है.

उपराष्ट्रपति ने फिर न्यायपालिका को घेरा, कहा- संसदीय क़ानून को अमान्य करना लोकतांत्रिक नहीं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम निरस्त किए जाने पर कहा कि ऐसा दुनिया में कहीं नहीं हुआ. कोई भी संस्था लोगों के जनादेश को बेअसर करने के लिए शक्ति या अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. इससे पहले भी वह सुप्रीम कोर्ट के इस क़दम की आलोचना कर चुके हैं.

बीते 5 वर्षों में नियुक्त हाईकोर्ट के 79% नए जज कथित उच्च जाति से, दो फीसदी एससी और अल्पसंख्यक

केंद्रीय क़ानून मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 19 दिसंबर, 2022 तक विभिन्न उच्च न्यायालयों में कुल 537 न्यायाधीश नियुक्त किए गए, जिनमें से 79 प्रतिशत सामान्य वर्ग, 11 फीसदी ओबीसी, 2.6 प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग से थे. अनुसूचित जातियों/जनजातियों की हिस्सेदारी क्रमशः 2.8 प्रतिशत और 1.3 प्रतिशत थी.

कॉलेजियम की ओर से दोबारा भेजे गए नामों को सरकार वापस भेज रही है, यह चिंता का विषय: अदालत

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई सिफारिश की जाती है, तो सरकार के अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन उस पर अपनी टिप्पणी अंकित करके वापस भेजे बिना उसे रोके नहीं रखा जा सकता है. अदालत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से की जा रही कथित देरी से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी.

पांच वर्षों में पिछड़े समुदायों से मात्र 15 प्रतिशत न्यायाधीश नियुक्त किए गए: न्याय विभाग

न्याय विभाग ने एक संसदीय समिति को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों की शुरुआत कॉलेजियम द्वारा की जाती है, इसलिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं के बीच से उपयुक्त उम्मीदवारों के नामों की सिफ़ारिश करके सामाजिक विविधता के मुद्दे को हल करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी न्यायपालिका की बनती है.

वकीलों की अनुपलब्धता के कारण 63 लाख मामलों में देरी हुई: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

एक कार्यक्रम के दौरान प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जेल नहीं बल्कि ज़मानत आपराधिक न्याय प्रणाली के सबसे मौलिक नियमों में से एक है. फिर भी व्यवहार में भारत में जेलों में बंद विचाराधीन क़ैदियों की संख्या एक विरोधाभासी तथा स्वतंत्रता से वंचित करने की स्थिति को दर्शाती है.

केंद्र और न्यायपालिका के बीच कोई तनाव नहीं: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू

हाल ही में ख़त्म हुए संसद सत्र में कई बार उच्च न्यायपालिका पर निशाना साधने के बाद केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार कभी भी अपनी सीमा पार नहीं करेगी और न्यायपालिका के क्षेत्र में दख़ल नहीं देगी.

कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता के अभाव के संबंध में कई अभ्यावेदन मिले: रिजिजू

विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार के साथ ही उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता, वस्तुनिष्ठता और सामाजिक विविधता की कमी को लेकर सरकार को कई मेमो मिले हैं.

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