आरएसएस विचारक एस. गुरुमूर्ति ने हाईकोर्ट जज के ख़िलाफ़ ट्वीट को लेकर माफ़ी मांगी

एक तमिल समाचार पत्रिका के संपादक और आरएसएस विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति ने साल 2018 में तब दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत जस्टिस एस. मुरलीधर के ख़िलाफ़ ट्वीट किया था. इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा गुरुमूर्ति के ख़िलाफ़ अवमानना का मामला दायर किया गया था.

सरकार द्वारा सिफ़ारिश लंबित रखने के बाद कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को वापस लिया

इस सिफ़ारिश को वापस लेने का सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का फैसला केंद्र सरकार के जवाब का छह महीने से अधिक समय तक इंतज़ार करने के बाद आया है. कॉलेजियम ने सितंबर 2022 को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफ़ारिश की थी, तब से यह बिना किसी प्रतिक्रिया के सरकार के पास लंबित है.

हाईकोर्ट ने अवमानना मामले में बिना शर्त माफ़ी मांगने के बाद विवेक अग्निहोत्री को बरी किया  

अक्टूबर 2018 में सिलसिलेवार तरीके से किए गए ट्वीट में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने आरोप लगाया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा को नज़रबंदी से मुक्त करने का फैसला किया था, क्योंकि वह उनकी पत्नी के दोस्त थे.

ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बोले, देश का क़ानून ग़रीबों के लिए भेदभावकारी

ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर ने कहा कि न्यायिक प्रणाली अमीरों और ग़रीबों के लिए अलग-अलग तरीके से काम करती है. जिन लोगों के पास क़ानूनी सहायता सेवाओं को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, उन्हें वह प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, जिसके वे हक़दार हैं.

जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर वकीलों की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने जताई चिंता

जस्टिस मुरलीधर ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों से पहले भाजपा कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने के मामले में केस दर्ज करने से विफल रहने को लेकर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी. इसके अगले दिन 26 फरवरी की रात को केंद्र सरकार ने उनका तबादला आदेश जारी कर दिया था.

माफ़ीनामा रिट्वीट करने की शर्त पर एस. गुरुमूर्ति के ख़िलाफ़ अवमानना का केस बंद

एक तमिल समाचार पत्रिका के संपादक और रिज़र्व बैंक के अंशकालीन निदेशक एस. गुरुमूर्ति ने बीते साल जस्टिस एस. मुरलीधर के ख़िलाफ़ एक लेख री-ट्वीट किया था. इसके ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट ने उन पर अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी.

भारत में क़ानूनी मदद पर प्रति व्यक्ति मात्र 0.75 रुपये ख़र्च होते हैं: रिपोर्ट

राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, सिक्किम और उत्तराखंड जैसे राज्यों में विधिक सेवा प्राधिकारों को आवंटित धनराशि में से 50 फीसद से भी कम ख़र्च किया गया.