बिहार के बक्सर ज़िले का मामला. एक आरटीआई कार्यकर्ता के 14 वर्षीय बेटे को बीते फरवरी में आर्म्स एक्ट के तहत पुलिस ने बालिग बताकर गिरफ़्तार किया था. अब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे नाबालिग घोषित किया है.
नालंदा ज़िले के इस्लामपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले एक 16 वर्षीय किशोर को बीते मार्च महीने में एक महिला का पर्स चुराने के आरोप में पकड़ा गया था. उनके घर की तंग आर्थिक स्थिति और पृष्ठभूमि को देखते हुए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट मानवेन्द्र मिश्र ने उन्हें सज़ा न देते एक मानवीय फ़ैसला सुनाया है.
पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि जब अपराध हुआ उस समय दोनों दोषी नाबालिग थे. अब वे 18-21 वर्ष आयु वर्ग के हैं इसलिए उन्हें किशोर सुधार गृह भेजने की सजा सुनाई गई है.
साल 2017 में पहलू खान की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में यह पहली दोषसिद्धी है. पिछले साल अगस्त में अलवर की निचली अदालत ने मामले के छह अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था.
उत्तर प्रदेश और दिल्ली में नाबालिगों को हिरासत में लेने से जुड़े आरोपों पर शीर्ष अदालत ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड मूकदर्शक बने रहने और मामला उनके पास आने पर ही आदेश पारित करने के लिए नहीं बनाए गए हैं. अगर उनके संज्ञान में किसी बच्चे को जेल या पुलिस हिरासत में बंद करने की बात आती है, तो वह उस पर कदम उठा सकता है.
12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए दंड को सात वर्ष के न्यूनतम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है. 16 वर्ष से कम की लड़की से बलात्कार में सज़ा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने बच्चों और किशोरों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतों को संवेदनशील बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा हम इस देश में यूं बर्बर नहीं हो सकते.
पिता ने किशोर न्याय बोर्ड से अनुरोध किया कि जांच के दौरान आरोपी छात्र के ख़िलाफ़ एक वयस्क की तरह केस चलाया जाए.