बर्ख़ास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी असबाह-उल-अर्ज़मंद ख़ान भी शामिल हैं, जो टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद फ़ारूक़ अहमद डार की पत्नी हैं. चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्ख़ास्त किया गया है, जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.
अध्यापन में 30 साल का अनुभव रखने वाली प्रोफेसर नीलोफ़र ख़ान को कश्मीर विश्वविद्यालय की कुलपति नियुक्त किया गया है. वह अभी गृह विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के तौर पर सेवाएं दे रही हैं. वह प्रोफेसर तलत अहमद का स्थान लेंगी, जिन्होंने अगस्त 2018 में कुलपति के रूप में सेवाएं देना शुरू किया था.
कश्मीर विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र अब्दुल आला फ़ाज़िली ने क़रीब 11 वर्ष पहले 6 नवंबर 2021 को ऑनलाइन पत्रिका ‘द कश्मीर वाला’ में एक लेख लिखा था. पुलिस का कहना है कि वह लेख अत्यधिक भड़काऊ था और जम्मू कश्मीर में अशांति खड़ा करने के इरादे से लिखा गया था. इसका मक़सद आतंकवाद का महिमामंडन करके युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करना था.
साल 2005 में दिल्ली बम धमाकों के आरोप में गिरफ्तार किए गए कश्मीर के मोहम्मद रफीक़ शाह को अदालत ने 12 साल बाद बरी कर दिया. अब वे कश्मीर में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं.