‘हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान’ के नारे ने हिंदी को वो कलंक दिया, जो अब तक नहीं मिट पाया है

आज हिंदी अपराध-बोध की भाषा है. इस पर यह गंभीर आरोप है कि इसने देश की अनेक बोलियों और भाषाओं का बेरहमी से सरकार की शह पर कत्ल किया है.