झारखंड: राज्यपाल ने दो आपत्तियों के साथ मॉब लिंचिंग बिल सरकार को वापस भेजा

झारखंड में भीड़ हिंसा का मामला 2019 में उस समय सुर्ख़ियों में आया था, जब 24 साल के तबरेज़ अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में कथित तौर पर पोल से बांधकर भीड़ ने उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस घटना के वीडियो में भीड़ अंसारी से कथित तौर पर ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगाने को मजबूर करती दिख रही थी.

केंद्र में ‘रावण’ पार्टी की सरकार आने के बाद भीड़ हिंसा विरोधी क़ानून लाने को मजबूर हुए: सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है. मॉब लिंचिग रोधी अधिनियम हिंदू, मुस्लिम या आदिवासी अधिनियम नहीं है, क्योंकि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता. भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने और देश के सामाजिक तानाबाने को नष्ट करने वाला माहौल बनाने के बाद हम यह क़ानून लाने को मजबूर हुए.

झारखंड: मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ विधेयक लाने का प्रस्ताव, आजीवन कारावास और जुर्माने का प्रावधान

मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल, 2021 को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है, जो 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है. इसके तहत दोषी पाए जाने पर जुर्माना और संपत्ति ज़ब्त किए जाने के अलावा तीन साल से आजीवन कारावास तक की सज़ा का प्रावधान है. इसके अलावा पीड़ितों के लिए प्रतिकूल माहौल बनाने के लिए जुर्माने और तीन साल तक की सज़ा का भी प्रावधान है.