डाबर ने विरोध के बीच समलैंगिक जोड़े का करवाचौथ से जुड़ा विज्ञापन वापस लिया

करवाचौथ को लेकर डाबर कंपनी ने अपने उत्पाद ‘फेम क्रीम गोल्ड ब्लीच’ का एक नया विज्ञापन जारी किया था, जिसमें दो महिलाओं को एक दूसरे के लिए करवाचौथ का व्रत रखते हुए दिखाया गया था. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विज्ञापन न हटाने पर कार्रवाई की बात कही थी, जिसके बाद डाबर इंडिया ने इसे वापस लेते हुए माफ़ी मांग ली है.

कोविड महामारी ने पहले से हाशिये पर पड़े एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय की पीड़ा को और बढ़ाया है

एलजीबीटीक्यूआई+ अधिकारों के लिए काम करने वाले सहायता समूहों और संगठनों की हेल्पलाइन पर मदद मांगने के लिए आई फोन कॉल की संख्या में हुई कई गुना बढ़ोतरी कोविड-19 महामारी के दौरान समुदाय के लिए बढ़ी चुनौतियों को दिखाती है.

विरोध के बावजूद राज्यसभा ने ट्रांसजेंडर विधेयक को मंज़ूरी दी

राज्यसभा में चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस, टीआरएस, कांग्रेस और बसपा समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने ट्रांसजेंडर विधेयक को प्रवर समिति के समक्ष भेजने की मांग की, जिसे ख़ारिज कर दिया गया. बीते अगस्त महीने में संसद के पिछले सत्र के दौरान लोकसभा में इसे पारित किया जा चुका है.

ट्रांसजेंडर्स द्वारा भीख मांगने को अपराध घोषित करने वाला प्रावधान विधेयक से हटाया गया

ट्रांसजेंडर्स विधेयक से उस प्रावधान को भी हटा दिया गया है जिसके तहत ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अपने समुदाय का होने की मान्यता प्राप्त करने के लिए जिला स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष पेश होना अनिवार्य था.

मीडिया बोल, एपिसोड 66: सवर्ण भारत बंद, किसान-मज़दूर रैली और समलैंगिक आज़ादी का उल्लास

मीडिया बोल की 66वीं कड़ी में उर्मिलेश एससी-एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों द्वारा किए गए भारत बंद, दिल्ली में किसान और मज़दूर संगठनों की रैली और समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर लाने पर वरिष्ठ पत्रकार शैलेष और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल से चर्चा कर रहे हैं.

धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आरएसएस सहमत, लेकिन समलैंगिक विवाह का समर्थन नहीं

आरएसएस के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा कि समलैंगिक विवाह प्राकृतिक नहीं होते, इसलिए हम इस तरह के संबंध का समर्थन नहीं करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को ठहराया गैर-आपराधिक, सहमति से समलैंगिक संबंध बनाना अपराध नहीं

शीर्ष अदालत ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय को अन्य नागरिकों की तरह समान मानवीय और मौलिक अधिकार हैं. अदालतों को व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि गरिमा के साथ जीने के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता दी गई है.

समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में अपने फैसले में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया था.