26/11 की घटनाओं को हमारी स्मृतियों से ओझल नहीं होना चाहिए

भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को मिलने वाले सरकारी समर्थन को लेकर दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है. फिर भी पाकिस्तान की सरकारें लश्कर-ए-तैयबा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में असमर्थ रही हैं.

कश्मीर: आतंकियों की कथित ऑनलाइन धमकी के बाद पुलिस ने कई पत्रकारों के घर छापे मारे

बीते दिनों लश्कर-ए-तैयबा के कथित ब्लॉग पर प्रकाशित एक धमकी भरे पत्र में घाटी के 21 मीडिया संस्थान मालिकों, संपादकों व पत्रकारों का नाम था. बताया गया कि छापेमारी के दौरान स्थानीय पत्रकार सज्जाद अहमद क्रालियारी को हिरासत में लिया गया और उनका लैपटॉप, कैमरा और मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिया गया.

कश्मीर: लश्कर-ए-तैयबा की ‘धमकी’ के बाद पांच पत्रकारों ने नौकरी छोड़ी

लश्कर-ए-तैयबा के कथित ब्लॉग पर प्रकाशित एक धमकी भरे पत्र, जिसके स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर साझा किए गए हैं, में 21 मालिकों, संपादकों और पत्रकारों का नाम लिया गया है, जिनमें से ज़्यादातर श्रीनगर के तीन मीडिया संस्थानों से जुड़े हैं.

26/11 के 13 साल बाद भी आतंकवादियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने में विफल पाकिस्तान

भारत ने इस बात के पर्याप्त प्रमाण दिए हैं कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की साज़िश पाकिस्तान में रची गई थी. यह मामला पाकिस्तान में बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है और भारत द्वारा आरोपित प्रमुख आतंकवादी ठोस सबूतों के बावजूद तेरह साल बाद भी आज़ाद घूम रहे हैं.

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड लखवी को आतंकी फंडिंग के तीन मामलों में पांच-पांच साल की क़ैद

पाकिस्तान की एक आतंक रोधी अदालत ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर ज़की-उर-रहमान लख़वी को तीन मामलों में पांच-पांच क़ैद की सज़ा सुनाई है. दिलचस्प यह है कि तीनों अपराधों की सज़ा एक साथ चलेगी.

समझौता एक्सप्रेस मामले में क्यों एनआईए ने एक राजनीतिक विचारधारा के लिए अपनी साख दांव पर लगाई

भारत सरकार यूं तो कहती है कि आतंकवादी कहीं छिपा हो वह उसे निकाल लाएगी, लेकिन इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री का कहना था कि क्यों सरकार आगे की अदालत में इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील करे? जिसे करना हो करे, सरकार क्यों करे? इससे क्या फायदा होगा?