चुनाव आयोग अब तक प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ आचार संहिता के उल्लंघन की पांच अन्य शिकायतों को गलत बताते हुए उन्हें क्लीनचिट दे चुका है.
पश्चिम बंगाल के नादिया में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि बालाकोट में आतंकी अड्डों पर बमबारी के बाद पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यालय में मातम था. ऐसा ही एक बयान उन्होंने नागपुर में भी दिया था जिसे क्लीनचिट देने पर एक आयुक्त द्वारा असहमति जताई गई थी.
चुनाव आयोग आचार संहिता उल्लंघन मामले में अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पांच शिकायतों पर उन्हें क्लीनचिट दे चुका है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कथित तौर पर विभिन्न राज्यों के नौकरशाहों से उन जगहों के बारे में जानकारियां मांगी, जहां प्रधानमंत्री को चुनाव प्रचार के लिए जाना था. अगर यह साबित हो जाता है तो न केवल आदर्श आचार संहिता बल्कि जनप्रतिनिधि क़ानून का उल्लंघन होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आचार संहिता उल्लंघन के तीन मामलों में चुनाव आयोग से क्लीनचिट मिली है. इनमें से दो मामलों में आयोग की राय एकमत नहीं थी.
राजस्थान के बाड़मेर में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत के परमाणु हथियार दिवाली के लिए इस्तेमाल किए जाने के लिए नहीं रखे गए हैं. इसी बयान को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा में एक रैली को संबोधित करते हुए कथित रूप से कहा था कि विपक्षी दल लोकसभा की उन सीटों से अपने नेताओं को खड़ा करने से डरता है जहां बहुसंख्यकों का प्रभुत्व है.
चुनाव आयोग के फुल कमीशन में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा हैं. एक चुनावी रैली में मोदी के संबोधन को लेकर कांग्रेस की पहली शिकायत चुनाव आयोग को पांच अप्रैल को मिली थी.
सोमवार को पश्चिम बंगाल की एक चुनावी रैली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का यह बयान योगी आदित्यनाथ के सैन्य बलों को 'मोदीजी की सेना' संबोधित करने के कुछ हफ्तों बाद आया है. योगी के बयान पर चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस देते हुए भविष्य में ऐसे बयानों से बचने की चेतावनी दी थी.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करने वाले पर्यवेक्षक का निलंबन न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि हमने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री जैसी संवैधानिक संस्थाओं की छवि सुधारने का बढ़िया मौका भी गंवा दिया.
चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व केवल आदर्श आचार संहिता ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि क़ानून को भी बरक़रार रखना है, जिसके तहत प्रधानमंत्री सहित विभिन्न भाजपा नेताओं के नफ़रत भरे भाषण अपराध की श्रेणी में आते हैं.
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने एक संप्रदाय विशेष को लेकर विवादित बयान दिया था, जबकि हिमाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था.
समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान ने भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की थी जबकि केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने एक संप्रदाय विशेष के बारे में विवादित बयान दिया था, जिसके बाद चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए यह रोक लगाई.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान सांप्रदायिकता से जुड़े बयान की शिकायतों पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है. योगी ने ‘अली’ और ‘बजरंग बली’ से जुड़ा बयान दिया था, जबकि मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं से एक पार्टी विशेष को वोट नहीं देने की अपील की थी.
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