बाल विवाह पीड़िताओं ने पत्र से बताई व्यथा, हैदराबाद हाईकोर्ट ने पत्र को पीआईएल में बदला

हाईकोर्ट ने कहा कि उनके लिए कोई आश्रय गृह नहीं हैं इसलिए बाल विवाह की क़ैद से मुक्त होने के बाद भी वे अपने ससुराल जाने के लिए बाध्य होती हैं. जहां उन्हें हिंसा और अत्याचार सहना पड़ता है.