आज रंग है ऐ मां रंग है, मेरे महबूब के घर रंग है री…

सूफ़िया-ए-किराम हों या पीर-फ़क़ीर, दरवेश हों या साधू-संत सब अपने-अपने पीर-ओ-मुर्शिद और ख़ुदा से रिश्ता क़ायम करने के लिए इश्क़ पर ज़ोर देते हैं. इश्क़ के अनेक रंगों में एक रंग होली का है.

होली खेलें आसफ़ुद्दौला वज़ीर…

जो ये मानते हैं कि होली सिर्फ हिंदुओं का त्योहार है वो होली के दिन पुराने लखनऊ जाकर देख लें. पहचानना मुश्किल हो जाएगा रंग में डूबा कौन सा चेहरा हिंदू है कौन सा मुसलमान.