पश्चिम बंगाल के नादिया में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि बालाकोट में आतंकी अड्डों पर बमबारी के बाद पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यालय में मातम था. ऐसा ही एक बयान उन्होंने नागपुर में भी दिया था जिसे क्लीनचिट देने पर एक आयुक्त द्वारा असहमति जताई गई थी.
नागपुर नगर निगम के एक कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि लोग मेरा सहयोग नहीं करते क्योंकि मेरे सभी विचार शानदार होते हैं.
पुणे के पिंपड़ी चिंचवाड़ में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आर्थिक और सामाजिक समानता के आधार पर समाज को एक साथ लाने की ज़रूरत है और इसमें जातिवाद और सांप्रदायिकता की जगह नहीं है.
नागपुर के एक वकील सतीश ऊके ने सीबीआई जज बीएच लोया की मौत को संदिग्ध बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर कर कहा है कि जज लोया को ज़हर दिया गया था और इससे संबंधित सभी दस्तावेज मिटा दिए गए हैं.
संघ की ओर से नागपुर में हर साल होने वाले दशहरा कार्यक्रम में शामिल हुए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी. कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने समाज की परंपरा पर विचार नहीं किया.
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रंजीत देशमुख के बेटे और भाजपा विधायक रहे आशीष देशमुख ने भी कांग्रेस का दामन थामा.
भीमा कोरगांव हिंसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साज़िश रचने के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के बाद से एल्गार परिषद चर्चा में है. एल्गार परिषद के माओवादी कनेक्शन समेत तमाम दूसरे आरोपों पर इसके आयोजक और बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल का पक्ष.
सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हालिया कार्रवाई के ख़िलाफ़ जो जनाक्रोश उभरा है उसमें ‘नक्सल’ शब्द और इसके पीछे के ठोस ऐतिहासिक संदर्भों को बार-बार सामने रखना ज़रूरी है ताकि यह शब्द महज़ एक आपराधिक प्रवृत्ति के तौर पर ही न देखा जाए बल्कि इसके पीछे मौजूद सरकारों की मंशा भी उजागर होती रहे.
दलितों और पिछड़ों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर, उन पर ‘माओवादी’ का लेबल लगाकर सरकार दलित महत्वकांक्षाओं का अपमान करती है, साथ ही दूसरी ओर दलित मुद्दों के प्रति संवेदनशील दिखने का स्वांग भी रचती है.
वीडियो: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से हुई सामाजिक कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
जैसे-जैसे 2019 आम चुनाव क़रीब आ रहे हैं, एक नई कहानी को बढ़ावा दिया जा रहा है- कि दुश्मन देश के अंदर ही हैं और ये न केवल सरकार और उसकी नीतियों, बल्कि देश के ही ख़िलाफ़ हैं.
अदालत ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के करीब नौ महीने बाद हुई गिरफ़्तारियों पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल करते हुए गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक जेल न भेजते घर में ही नज़रबंद रखने का आदेश दिया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र के पुलिस प्रमुख को भी नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा है कि प्रतीत होता है कि पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी में नियमों का ठीक तरीके से पालन नहीं किया गया है. वहीं, गौतम नवलखा को महाराष्ट्र पुलिस ने दस्तावेजों की अनूदित प्रति उपलब्ध करा दी है.
महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों से कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और कइयों के घरों पर छापेमारी की. इन सभी का सामाजिक आंदोलनों और मानवधिकार से जुड़े रहने का इतिहास रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था. न्यायालय दोपहर पौने चार बजे सुनवाई करेगा. वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दोपहर सवा दो बजे दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.