हल्‍द्वानी में हुई हिंसा प्रशासनिक चूक थी: कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश

वीडियो: उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में बीते 8 फरवरी को कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण के बाद हिंसा भड़क उठी थी. इस पूरे मामले को लेकर हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश से द वायर के याक़ूत अली की बातचीत.

हल्‍द्वानी हिंसा: किन परिस्थितियों में रह रहे हैं बनभूलपुरा के लोग

वीडियो: उत्तराखंड में हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में बीते 8 फरवरी को कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण के बाद भड़की हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई थी. द वायर के याक़ूत अली ने इलाके के दौरा कर वहां रह रहे लोगों से बातचीत की और हालात का जायज़ा लिया.

क्या हल्द्वानी में ‘मस्जिद-मदरसे’ के ध्वस्तीकरण और उससे उपजी हिंसा की न्यायिक जांच की जाएगी?

हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण ने ज़िला प्रशासन की कार्यप्रणाली की कथित ख़ामियों को उजागर किया है. उत्तराखंड की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को भी इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करना है कि जहां तक अल्पसंख्यक अधिकारों का सवाल है, उनके अनुपालन में वह आज तक कितनी चुस्त रही है.

हल्द्वानी हिंसा मामले में लगभग 30 लोग गिरफ़्तार, उत्तराखंड सरकार ने और केंद्रीय बलों की मांग की

उत्तराखंड पुलिस ने बताया कि बीते 8 फरवरी को हल्द्वानी में भड़की हिंसा के संबंध में तीन एफ़आईआर दर्ज की गई है. पिछले 24 घंटों में 25 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में, जहां हिंसा हुई थी, कर्फ्यू लगा हुआ है. कई निवासियों को ज़िले के अन्य हिस्सों में अपने रिश्तेदारों के यहां चले जाने की सूचना है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने संरक्षित वन भूमि में सड़क निर्माण पर रोक लगाई

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पंगोट क्षेत्र में नैना देवी पक्षी संरक्षित क्षेत्र में मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को रोकते हुए बुलडोज़र के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. एक जनहित याचिका में बताया गया था कि क्षेत्र में एक बिल्डर द्वारा होटल बनाए जाने के बाद बिना किसी सरकारी अनुमति के अवैध रूप से सड़क बनवाई जा रही थी.

उत्तराखंड: धर्म संसद जैसी नफ़रत वाली राजनीति और भीड़ हिंसा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

उत्तराखंड के विभिन्न ज़िलों में भीड़ हिंसा और नफ़रत की राजनीति के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन करते हुए राज्य में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बढ़ रहे अपराधों पर चिंता जताई है. कोरोना की पहली लहर में सरकार ने ताली-थाली बजवाई थी, उसी तर्ज पर इस दौरान कनस्तर बजाकर नारे लगाए गए और हिंसा ख़त्म करने की अपील की गई. साथ में नारे लिखे पोस्टर दिखाकर सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त किया गया.

उत्तराखंड: पहाड़ों में आपदाएं सियासी मुद्दा क्यों नहीं बनती हैं…

पहाड़ों में जनता की दुख-तकलीफ़ों को दूर करने के सियासी एजेंडा में पर्यावरण और विकास के सवाल हमेशा से ही विरोधाभासी रहे हैं क्योंकि राजनीतिक दलों को लगता है कि पर्यावरण बचाने की बातें करेंगे तो विकास के लिए तरसते लोग वोट नहीं देंगे.

उत्तराखंड: मूसलाधार बारिश से मरने वालों की संख्या 47 हुई, नैनीताल से संपर्क बहाल

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मरने वालों की संख्या 40 से अधिक हो गई है. भारी बारिश से कई मकान ढह गए. कई लोग अब भी मलबे में फंसे हुए हैं. सड़कों, पुलों और रेल पटरियों को नुकसान पहुंचा हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य भर में भारी क्षति हुई है. सामान्य स्थिति में लौटने में समय लगेगा. धामी ने राहत प्रयासों के लिए प्रत्येक ज़िलाधिकारियों को 10-10 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.

उत्तराखंड: क्या सूखाताल में हो रहा निर्माण कार्य नैनी झील के अस्तित्व के लिए ख़तरा है

नैनीताल के मल्लीताल से क़रीब आठ सौ मीटर दूर स्थित सूखाताल नैनी झील के कैचमेंट के तेरह रिचार्ज ज़ोन में सबसे महत्वपूर्ण है. कुमाऊं मंडल विकास निगम व नैनीताल ज़िला स्तरीय विकास प्राधिकरण द्वारा यहां पर्यटन के उद्देश्य से करवाए रहे निर्माण कार्य से नैनी झील के लिए संकट उत्पन्न होने की आशंकाएं जताई जा रही हैं. 

उत्तराखंड: क्यों स्थानीय व्यापारी सातताल में प्रस्तावित सौंदर्यीकरण का विरोध कर रहे हैं

सातताल झीलों से घिरा एक छोटा-सा पर्यटन स्थल है, जहां कुमाऊं मंडल विकास निगम और नैनीताल ज़िला स्तरीय विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित सौंदर्यीकरण के चलते कई निर्माण कार्य होने हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा करना यहां के प्राकृतिक स्वरूप और जैव विविधता के लिए नुकसानदायक हो सकता है.