2017-22 के बीच हिरासत में बलात्कार के 275 मामले दर्ज किए गए: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 के बाद से हिरासत में बलात्कार के दर्ज किए गए 275 मामलों में से उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 92 मामले शामिल हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने ऐसे मामलों के लिए क़ानून प्रवर्तन प्रणालियों के भीतर संवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी को ज़िम्मेदार ठहराया है.

बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराध में सालभर में 32% की वृद्धि देखी गई: एनसीआरबी डेटा

चाइल्ड रॉइट एंड यू (क्राई) द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, 2022 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराध के कुल 1,823 मामले सामने आए हैं, जो इसके पिछले वर्ष 1,376 थे. इन अपराधों में साइबर पोर्नोग्राफ़ी, बच्चों संबंधी अश्लील सामग्री का प्रसार, साइबरस्टॉकिंग आदि शामिल थे. 

साल 2022 में महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा एसिड अटैक की घटनाएं बेंगलुरु शहर में हुईं

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 19 महानगरों में से बेंगलुरु शीर्ष पर था, जहां साल 2022 में 8 महिलाएं एसिड हमले की शिकार हुईं. दूसरे स्थान पर दिल्ली था, जहां 7 महिलाएं एसिड हमलों का शिकार हुईं. इसके बाद अहमदाबाद ऐसे 5 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा.

बीते दो वर्षों में हेट स्पीच के मामलों में 45 प्रतिशत वृद्धि, सबसे ज़्यादा यूपी में: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में हेट स्पीच के 993 मामले सामने आए थे, जो 2022 में बढ़कर 1,444 हो गए. 2022 में सबसे अधिक 217 मामले उत्तर प्रदेश, उसके बाद राजस्थान में 191 और महाराष्ट्र में 178 में दर्ज किए गए.

2022 में देश में हर दिन अपहरण के 294 से अधिक केस दर्ज किए गए, सर्वाधिक उत्तर प्रदेश में

एनसीआरबी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देश में अपहरण के 1,07,588 मामले दर्ज किए गए जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 1,01,707 और 2020 में 84,805 था. इस मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा.

वर्ष 2019 से 2021 तक देशभर से 10 लाख से अधिक महिलाएं लापता: एनसीआरबी

एनसीआरबी की आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 2019 से 2021 तक कुल 10,61,648 महिलाएं लापता हो गईं. इसी अवधि में 2,51,430 लड़कियां भी ग़ायब हुई हैं. देश भर में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं, जहां से इस अवधि में सबसे ज़्यादा लड़कियां और महिलाएं ग़ायब हुईं.

तीन लड़कियों के लापता होने पर ‘केरला स्टोरी’, गुजरात की 40 हज़ार से अधिक की कहानी क्या है?

वीडियो: हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में एनसीआरबी के हवाले से बताया गया था कि बीते पांच सालों में गुजरात में 40 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं लापता हुई हैं. इस बारे में उठ रहे सवालों के बारे में बात का रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान.

गुजरात में पिछले पांच साल के दौरान 40 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं लापता हैं: एनसीआरबी डेटा

गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हिरेन बैंकर ने कहा कि भाजपा के नेता केरल में महिलाओं के बारे में बात करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के गृह राज्य गुजरात में 40,000 से अधिक महिलाएं गायब हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 में राज्य से 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हुई हैं. 

वर्ष 2021 में मध्य प्रदेश में 29 व राजस्थान में 14 बच्चे हर दिन लापता हुए: चाइल्ड राइट्स एंड यू

गैर-सरकारी संगठन ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (क्राइ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर भारत के चार प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बच्चों के लापता होने के माम‍लों में काफी वृद्धि हुई है. 2021 में मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में पांच गुना अधिक है.

पूर्वोत्तर राज्यों में राजनीतिक संघर्षों में त्रिपुरा शीर्ष परः एनसीआरबी रिपोर्ट

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 'क्राइम इन इंडिया 2020' रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में बलात्कार के मामलों में पूर्वोत्तर के राज्यों में असम शीर्ष पर है. असम में बलात्कार के 1,657 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद त्रिपुरा में 79, मेघालय में 67  और अरुणाचल प्रदेश में 60 मामले दर्ज किए गए.

2019 में बेरोज़गारी की वजह से 24 फीसदी बढ़े आत्महत्या के मामले: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ये आंकड़े देश में कोविड-19 के प्रसार चलते बड़ी संख्या में नौकरियां जाने के पहले के हैं. इनके अनुसार, साल 2019 में बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या के सर्वाधिक 553 मामले कर्नाटक में दर्ज हुए. दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र और तीसरे स्थान पर तमिलनाडु रहा.

2017-2019 तक 24,000 से अधिक बच्चों ने आत्महत्या की: एनसीआरबी

बच्चों की आत्महत्या संंबधी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों को हाल ही में संसद में पेश किया गया. 2017-2019 के बीच 24,568 बच्चों ने आत्महत्या की, जिनमें 13,325 लड़कियां शामिल हैं. 4,046 बच्चों ने परीक्षा में असफल रहने और 639 बच्चों ने विवाह से जुड़े मुद्दों को लेकर आत्महत्या की है.