‘विकास’ का यह कौन-सा मॉडल है, जो जोशीमठ ही नहीं, पूरे हिमालय क्षेत्र में दरार पैदा कर रहा है और इंसान के लिए ख़तरा बन रहा है? सरकारी ‘विकास’ की इस चौड़ी होती दरार को अगर अब भी नज़रअंदाज़ किया गया, तो पूरी मानवता ही इसकी भेंट चढ़ सकती है.
उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दर्जन भर सरकारी संस्थानों और वैज्ञानिक संगठनों को पत्र लिखकर कहा है कि वे जोशीमठ में भू-धंसाव के संबंध में मीडिया से बातचीत या सोशल मीडिया पर डेटा साझा न करें. इसके बाद ज़मीन धंसने के संबंध में भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जारी एक रिपोर्ट को वेबसाइट से हटा दिया गया है.
जनवरी की शुरुआत तक राजस्थान, झारखंड, आंध्र प्रदेश में कोविड-19 से हुई अतिरिक्त यानी आधिकारिक आंकड़े से ज़्यादा मौतें, सरकारी संख्या से 12 गुना से अधिक थीं. रिकॉर्ड के बेतरतीब रखरखाव और लालफीताशाही के कारण हज़ारों परिवार मुआवज़े से वंचित हो सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में कोविड-19 पीड़ितों के परिवारों को 50,000 रुपये मुआवज़ा देने के दिशानिर्देश दिए थे. इसके बाद गुजरात सरकार ने मुआवज़े हेतु मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए एक जांच समिति का गठन करने की अधिसूचना जारी की. कोर्ट ने इस निर्णय को मुआवज़े के देरी करने का नौकरशाही प्रयास बताया है.
यह हादसा विशाखापत्तनम के गोपालपत्तनम इलाके में स्थित एलजी पॉलिमर संयंत्र को दोबारा खोलने के दौरान हुआ. हादसे के शिकार हुए 20-25 लोगों की हालत नाजुक है. संयंत्र के तीन किमी के दायरे से 200 से 250 परिवारों के लगभग 500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.