अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश मंत्री कानून, 1981 में संशोधन किया था. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि क़ानून में संशोधन संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है.
एक जनहित याचिका में दावा किया गया था कि कार्यालय छोड़ने के बाद भी सांसदों को मिलने वाली पेंशन तथा अन्य भत्ते संविधान में मिले समानता का अधिकार के विपरीत है.