उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में ‘निषाद महाकुंभ’ का आयोजन भाजपा नेता जय प्रकाश निषाद द्वारा किया जा रहा है. इस आयोजन ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल भाजपा और निषाद पार्टी के बीच की खींचतान को एक बार फिर सबके सामने लाकर रख दिया है.
पुस्तक समीक्षा: रमाशंकर सिंह की किताब ‘नदी पुत्र: उत्तर भारत में निषाद और नदी’ हाल ही में प्रकाशित होकर आई है. इस किताब में नदियों के साथ जुड़ीं निषाद समुदाय की स्मृतियों, ऐतिहासिक दावेदारियों, सामाजिक गतिशीलता, अपवंचना और बहिष्करण के तत्वों की पड़ताल की गई है.
बिहार सरकार में मंत्री मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी के सभी तीनों विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. उधर, मुकेश साहनी का कहना है कि उन्हें मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है. वे चाहें तो बर्ख़ास्त कर दें.
गोरखपुर ज़िले में कुल नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच, कैंपियरगंज, सहजनवा, चौरीचौरा, बांसगांव, खजनी और चिल्लूपार आते हैं, जिनमें से आठ पर पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे योगी आदित्यनाथ के सामने अपनी सीट के साथ इन्हें भी बचाने की चुनौती है.
बीते कुछ चुनावों में अपनी जीत से सबको चौंका चुकी निषाद पार्टी को भाजपा ने पिछले चुनाव में हारी हुई नौ सीटों को जिताने की ज़िम्मेदारी दी है. गठबंधन में निषाद पार्टी को मिली 16 सीटों में से छह पर प्रत्याशी भाजपा के चुनाव चिह्न पर जबकि 10 प्रत्याशी निषाद पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा, चिल्लूपार, बांसगांव और खजनी हैं. बांसगांव और खजनी क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इनमें से पांच- गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा में निषाद समुदाय की अच्छी-ख़ासी संख्या है. चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में भी निषाद मतदाता ठीक-ठाक हैं.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में निषाद वोट अहम हो गए हैं, जिसे लेकर निषाद पार्टी अपने प्रभुत्व का दावा करती रही है. राज्य में 150 से अधिक विधानसभा सीटें निषाद बहुल हैं, ऐसे में यह समुदाय निर्णायक भूमिका में हो सकता है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट बढ़ते ही निषाद वोटों पर अपने कब्ज़े को लेकर निषाद पार्टी और बिहार की विकासशील इंसान पार्टी के बीच खींचतान शुरू हो गई है.
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के निषाद समुदाय के साथ समीकरण गड़बड़ाते हुए नज़र आ रहे हैं. प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने हाल ही में ख़ुद को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किए जाने की मांग की थी. इससे पहले उन्होंने राज्य सरकार में सम्मानजनक जगह न मिलने पर 2022 का चुनाव अकेले लड़ने की बात भी कह चुके हैं.