इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को जिला प्रशासन की अनुमति के बिना ग़ैर-क़ानूनी रूप से विदेशियों को ठहरने की व्यवस्था करने समेत विभिन्न आरोपों में गिरफ़्तार किया गया है.
सब जानते हैं कि कोविड-19 एक घातक वायरस की वजह से फैला है, लेकिन भारत में इसे सांप्रदायिक जामा पहना दिया गया है. आने वाले समय में यह याद रखा जाएगा कि जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ था, तब भी मुसलमान सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो रहे थे.
तबलीग़ी जमात की आलोचना सही है, लेकिन ज़रूरी है कि उनके इतिहास को पढ़ा जाए और सोच समझकर उनके बारे में कोई राय बनाई जाए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ऐसी सूचना है कि कई रोहिंग्या मुसलमान तबलीगी जमात के ‘इज्तिमास’ और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए थे और उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका है.
मौलाना साद कांधलवी के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या का भी मुक़दमा दर्ज किया गया है. पुलिस ने बताया था कि तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों में से कुछ की कोरोना वायरस से मौत हो जाने के बाद ये कदम उठाया गया है.
पुलिस के अनुसार कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी को काबू करने के लिए सामाजिक दूरी संबंधी केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के बाद भी मौलाना साद ने पिछले महीने निज़ामुद्दीन मरकज़ में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया था.
इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकट में घिरे होने के बाद भी हम भारतीय अपनी कट्टरता, अंधविश्वास और पूर्वाग्रह से बाहर न निकलकर एक वैश्विक महामारी को भी हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बनाए दे रहे हैं.
पुलिस के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली में हुए तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में ड्यूटी भी दी. मामला सामने आने के बाद उन्हें परिवार समेत क्वारंटाइन में भेजा गया है.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर डेली हेल्थ बुलेटिन में निज़ामुद्दीन मरकज़ से जुड़े आंकड़े अलग लिखने पर एतराज़ जताते हुए कहा है कि संप्रदाय के आधार पर बनाए गए कॉलम जल्द से जल्द हटाया जाए क्योंकि इससे इस्लामोफोबिया के एजेंडा को बढ़ावा मिल रहा है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल कर मीडिया के एक वर्ग पर सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया है. याचिका में कहा गया है कि तबलीग़ी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल पूरे मुस्लिम समुदाय को दोष देने में किया जा रहा है.
दिल्ली के निजामुद्दीन मामले को लेकर सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण संदेशों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के अलावा बांटने वाला भी एक वायरस है. मैं ऐसे लोगों को चेतावनी देता हूं कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई कानून आपको न बचा पाए.
मुसलमानों के शुभचिंतक तबलीग़ वालों को कड़ी सज़ा देने, यहां तक कि उसे प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं. इस एक मूर्खतापूर्ण हरकत ने सामान्य हिंदुओं में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बैठे पूर्वाग्रह पर एक और परत जमा दी है. ऐसा सोचने वालों को क्या यह बताने की ज़रूरत है कि हिंदू हों या ईसाई, उनमें बैठे मुसलमान विरोध का कारण मुसलमानों की जीवनशैली या उनके एक हिस्से की मूढ़ता नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने अपील की कि हम एक संक्रामक बीमारी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इससे निपटने के उपायों का पालन में करने में मामूली सी चूक हमारे सारे प्रयासों को व्यर्थ साबित कर देती है.
अमेरिकी राजनयिक सैम ब्राउनबैक ने कहा कि दुनियाभर की सरकारों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के खेल को आक्रामकता से ख़ारिज कर देना चाहिए.
दिल्ली पुलिस ने तबलीग़ी जमात के नेता मौलाना साद कांधलवी समेत सात लोगों को नोटिस भेजा. इससे पहले मौलाना साद और अन्य के ख़िलाफ़ सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हुए धार्मिक आयोजन कराने के लिए एफ़आईआर दर्ज की गई थी.