अस्पताल मानवता की सेवा करने के बजाय बड़े उद्योग की तरह हो गए हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 रोगियों के उचित इलाज पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले को सुनते हुए कहा कि अस्पताल कठिनाई के समय में राहत प्रदान करने के लिए होते हैं न कि नोट छापने की मशीन। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि आवासीय इलाकों में दो-तीन कमरे में चलने वाले ‘नर्सिंग होम’ सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते, इसलिए उन्हें बंद किया जाना चाहिए.

निजी अस्पतालों ने अदालत से कहा: नर्सों को ज़्यादा वेतन देना हमारे लिए अलाभकारी

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि शिक्षा और चिकित्सा पैसा ऐंठने वाले धंधे बन गए हैं. नर्सों के अधिकारों की रक्षा को लेकर दिशा-निर्देश दिए जाने के बावजूद निजी चिकित्सा संस्थानों में नर्सों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

पैसा ऐंठने वाला धंधा बन गया है डॉक्टरी का पेशा: दिल्ली हाईकोर्ट

याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में केंद्र सरकार को दिए उस निर्देश की पालना की जाए जिसमें कहा गया था कि नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों में नर्सों के वेतन और कार्य परिस्थितियों को सुधारने के लिए एक समिति का गठन हो.