भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने न्याय तक पहुंच को ‘सामाजिक उद्धार का उपकरण’ बताते हुए कहा कि आधुनिक भारत का निर्माण समाज में असमानताओं को दूर करने के लक्ष्य के साथ किया गया था. लोकतंत्र का मतलब सभी की भागीदारी के लिए स्थान मुहैया कराना है. सामाजिक उद्धार के बिना यह भागीदारी संभव नहीं होगी.
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने द्रौपदी मुर्मू को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. 64 वर्षीय मुर्मू इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली राष्ट्रपति इससे पहले झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं.
देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सीबीआई के एक आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि शुरुआत में सीबीआई पर जनता को भरोसा था, लेकिन समय बीतने के साथ हर प्रतिष्ठित संस्था की तरह सीबीआई भी सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है. इसके कार्यों और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं.
पहले अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस के उपलक्ष्य में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि वर्तमान में शीर्ष अदालत में चार महिला न्यायाधीश हैं, जो इसके इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संख्या है और निकट भविष्य में भारत पहली महिला प्रधान न्यायाधीश का गवाह बनेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अगले हफ्ते अंतरिम आदेश पारित करेगा. मौखिक तौर पर तकनीकी समिति गठित करने के बारे में कोर्ट ने कहा कि वह इसी हफ्ते आदेश देना चाहता था लेकिन जिन लोगों को इसमें लेना था, उनमें से कुछ ने निजी वजहों का हवाला देते हुए इसका हिस्सा बनने से मना कर दिया.
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी का खुलासा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि साल 1975 में वह जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा थे, जिन्होंने ऐसा आदेश पारित किया, जिसमें इंदिरा गांधी को अयोग्य क़रार दिया गया. इस निर्णय ने देश को हिलाकर रख दिया था.
बीते 16 अगस्त को सुनवाई के दौरान केंद्र ने पेगासस जासूसी मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि वह इज़रायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जुड़े आरोपों के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी. अदालत ने कहा था कि हलफ़नामे में सरकार द्वारा स्पायवेयर का इस्तेमाल किए जाने या न होने के आरोपों को संतुष्ट नहीं किया गया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि उसके पास सूचना है, जिसे हलफ़नामे के ज़रिये सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. यह इस बात की स्वीकारोक्ति है कि इस स्पायवेयर का उपयोग किया गया.पेगासस जासूसी मामले में केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हलफ़नामे में सूचना की जानकारी देने से राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा है.
सुप्रीम कोर्ट झारखंड के धनबाद में एक न्यायाधीश की कथित हत्या के मद्देनज़र देशभर में न्यायाधीशों और वकीलों की सुरक्षा से जुड़े स्वतः संज्ञान वाले मामले की सुनवाई कर रही है. विभिन्न राज्यों द्वारा जवाब दाख़िल नहीं करने को लेकर नाराज़ शीर्ष अदालत ने मामले में इन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए 10 दिन के अंदर जवाबी हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा है.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर कहा कि सरकार को दस दिनों के भीतर इन आरोपों का जवाब देना होगा कि क्या इजरायली कंपनी के स्पाईवेयर का जासूसी में इस्तेमाल किया गया या नहीं.
17वें जस्टिस पीडी देसाई स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि आज़ादी के बाद से हुए 17 आम चुनावों में जनता ने अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाया है, अब सत्ता को ये साबित करना है कि वे संवैधानिक जनादेश पर खरी उतर रही है.
आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में एक किसान परिवार में जन्मे 63 वर्षीय जस्टिस एनवी रमना 26 अगस्त 2022 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे. वे आंध्र प्रदेश से आने वाले देश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं.
जस्टिस एनवी रमना 24 अप्रैल को भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर सीजेआई एसए बोबडे की जगह लेंगे. फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने से पहले जस्टिस रमना दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि नए सीबीआई निदेशक की नियुक्त हो जाने के कारण वे इस मामले में कोई दखल नहीं देंगे. इसके अलावा पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने के लिए दिशानिर्देश जारी करने से भी इनकार कर दिया.