द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
चुनाव हमेशा पुराने आंकड़ों व समीकरणों के बूते नहीं जीते जाते, कई बार उन्हें परसेप्शन और मनोबल की बिना पर भी जीता जाता है. राहुल गांधी अमेठी व प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव मैदान में उतर जाएं तो अनुकूल परसेप्शन बनाने के भाजपा, नरेंद्र मोदी के महारत का वही हाल हो जाएगा, जो पिछले दिनों विपक्षी गठबंधन का ‘इंडिया’ नाम रखने से हुआ था.
वीडियो: आम चुनावों से पहले समान नागरिक संहिता को छिड़ी बहस को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत चुनावी दांव मानते हैं. विपक्षी एकता, उत्तराखंड में सांप्रदायिक तनाव की बढ़ती घटनाएं और आगामी कई चुनावों को लेकर कांग्रेस की रणनीति पर उनसे द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश मानते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय राजनीति में एक नया टर्निंग पॉइंट ज़रूर है लेकिन आम चुनाव अलग तरह से होते हैं, जहां उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्य महत्वपूर्ण भूमिका में रहते हैं. इस बारे में उनका नज़रिया.
कुछ माह पहले ही सागरदिघी उपचुनाव में जीतने वाले बायरन बिस्वास पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक थे. उनके तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस ने कहा कि इस तरह की ख़रीद-फ़रोख़्त केवल भाजपा के मक़सद को पूरा करती है.
भाजपा का भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दा धीरे-धीरे दरक रहा है और 2024 तक आते-आते स्थिति और बिगड़ सकती है. संक्षेप में कहें, तो अगर कांग्रेस कर्नाटक में अच्छी जीत दर्ज करने में कामयाब रहती है, तो 2024 के चुनावी समर के शुरू होने से पहले कर्नाटक राष्ट्रीय विपक्ष के लिए संभावनाओं के कई द्वार खोल सकता है.
जितनी आक्रामक तरीके से सत्ताधारी पार्टी की तरफ से एक कारोबारी दिग्गज की हिमायत की कोशिश की जा रही है, आख़िर वह समूह अचानक पार्टी के लिए इतने महत्वपूर्ण कैसे हो गया?
राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद से बने माहौल में कांग्रेस इस नई और सकारात्मक छवि के बूते ख़ुद को सिर्फ और मजबूत कर सकती है. देश की सबसे पुरानी पार्टी का दायित्व है कि वह दूसरों के लिए जगह बनाए और किसी भी विपक्षी मोर्चे में इसे केंद्रीय भूमिका दिए जाने की मांग को इसके आड़े न आने दे.
2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी ने न केवल यह दिखाया कि भाजपा अपने बलबूते पर चुनाव जीत सकती है बल्कि इस प्रक्रिया में इसने कांग्रेस को बर्बाद कर दिया. अब, बिना किसी केंद्रीय ताकत के हर क्षेत्रीय पार्टी के उसके एजेंडा, महत्वाकांक्षाओं के साथ इकट्ठा कर कोई संयुक्त मोर्चा बनाना लगभग असंभव लगता है.
हाल के महीनों में आम आदमी पार्टी की 'एकला चलो' रणनीति में बदलाव आया है, जहां अरविंद केजरीवाल ने कई विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात की है. इनमें कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल दलों के नेता भी शामिल हैं.
वीडियो: शराब नीति में भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बीते 26 फरवरी को गिरफ़्तार कर लिया था. इस मामले को लेकर द वायर की टीम दिल्ली के लोगों से उनकी राय जानी.
भाजपा धर्म व आस्था के नाम पर बनी समाज की जिन दरारों को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने में कामयाब हुई है, उसके ख़िलाफ़ मजबूत चुनौती पेश करना, एक लंबे संघर्ष की मांग करता है. क्या विपक्ष के सभी बड़े-छोटे दल उस ख़तरे के बारे में पूरी तरह सचेत हैं? क्या वे समझते हैं कि यह महज़ चुनावी मामला नहीं है?
जन गण मन की बात की 294वीं कड़ी में विनोद दुआ नरेंद्र मोदी, टीना फैक्टर और भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की एकजुटता पर चर्चा कर रहे हैं.
कांग्रेस ने यह संकेत दिया है कि राहुल की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए वह भाजपा के ख़िलाफ़ प्रस्तावित विपक्षी महागठबंधन को ख़तरे में नहीं डालने वाली.
हम भी भारत की 37वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी भाजपा के ख़िलाफ़ एकजुट हो रहे विपक्ष पर राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफेसर सुषमा यादव से चर्चा कर रही हैं.