केंद्रीय सूचना आयोग ने चुनावी बॉन्ड पर एसबीआई की रिपोर्ट का खुलासा करने से इनकार किया

आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड की बिक्री और उन्हें भुनाने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक और केंद्र को साल 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट का खुलासा करने की मांग की थी.

प्रूडेंट ट्रस्ट का 85 फ़ीसदी चंदा भाजपा को मिला, कांग्रेस के चंदे में 93 प्रतिशत की कमी: रिपोर्ट

पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 209 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा को मिला है, वहीं कांग्रेस को इससे महज़ दो करोड़ प्राप्त हुए. यह ट्रस्ट भारत के सबसे बड़े और धनी इलेक्टोरल ट्रस्टों में से एक है, जो 2013-14 से ही भाजपा के सबसे बड़े चंदा देने वालों में से एक है.

2021 के चुनावों के दौरान उन्नीस पार्टियों को मिले 1,100 करोड़ रुपये, भाजपा को सर्वाधिक: अध्ययन

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भाजपा और कांग्रेस सहित 19 राजनीतिक दलों ने पांच राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव के दौरान 500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा स्टार प्रचारकों के विज्ञापनों और यात्रा मद में गया.

2019-20 में क्षेत्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से जुटाए 445.77 करोड़ रुपये: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2019-20 में 25 क्षेत्रीय दलों को 803.24 करोड़ रुपये दान मिला, जिसमें 426.23 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से आए और क्षेत्रीय दलों ने स्वैच्छिक योगदान से 4.97 करोड़ रुपये एकत्र किए, जिसमें से 55.5 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया.

16 क्षेत्रीय दलों ने बिना पैन विवरण के 24.779 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया: रिपोर्ट

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी की चंदे से हुई आय में सर्वाधिक वृद्धि हुई है.

ग़ैर-चुनावी अवधि में भी एसबीआई ने 614 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे: आरटीआई

614 करोड़ रुपये के इन चुनावी बॉन्ड में से 200 करोड़ रुपये के बॉन्ड एसबीआई की कोलकाता शाखा, 195 करोड़ रुपये के बॉन्ड चेन्नई शाखा और 140 करोड़ रुपये के बॉन्ड हैदराबाद शाखा से बेचे गए हैं. साल 2018 से लेकर अक्टूबर 2021 तक कुल 18 चरणों में 7,994 करोड़ रुपये के गोपनीय चुनावी बॉन्ड बेचे जा चुके हैं, जिनका मुख्य मक़सद राजनीतिक दलों को चंदा देना है. 

14 क्षेत्रीय दलों ने चुनावी बॉन्ड के ज़रिये चंदा प्राप्त होने की घोषणा की: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के रिपोर्ट में कहा है कि 42 क्षेत्रीय दलों का विश्लेषण किया गया, उनमें से केवल 14 ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 447.498 करोड़ रुपये का चंदा मिलने की घोषणा की है, जो उनकी कुल आय का 50.97 प्रतिशत है.

सुप्रीम कोर्ट गोपनीय चुनावी बॉन्ड मामले पर सुनवाई क्यों नहीं कर रहा है

वित्त मंत्रालय के निर्देश पर चुनावी बॉन्ड के 18वें चरण की बिक्री शुरू हो गई है और यह 10 अक्टूबर तक चलेगी. हालांकि कई कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गोपनीय चुनावी बॉन्ड को जारी रखने को लेकर चिंता ज़ाहिर की है और सर्वोच्च न्यायालय से इसमें तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है.

साल 2019-20 में कुल चुनावी बॉन्ड की 75 फ़ीसदी राशि भाजपा को मिली, कांग्रेस को महज़ नौ फ़ीसदी

चुनाव आयोग में दायर किए गए पार्टी के वार्षिक ऑडिट के अनुसार, भाजपा देश की सबसे धनी राजनीतिक पार्टी बनी हुई है, जिसकी कुल नकदी 3,501 करोड़ रुपये (कैश और बैंक खातों में) है, जो कि साल 2019-20 में 1,904 करोड़ रुपये की तुलना में काफी अधिक है. 2019-20 में पार्टी ने 73 करोड़ रुपये की ज़मीन और लगभग 59 करोड़ रुपये के भवन ख़रीदे थे.

पांच अन्य दलों को मिले कुल चंदे की तीन गुना से अधिक राशि भाजपा को मिलीः एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-2020 में भाजपा द्वारा घोषित चंदे की राशि कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा और टीएमसी द्वारा इसी अवधि में प्राप्त चंदे की कुल राशि से तीन गुना से भी अधिक है. भाजपा को 785.77 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि शेष दलों को कुल 228.035 करोड़ रुपये का चंदा मिला. 

ग़ैर-चुनावी अवधि में भी 150 करोड़ रुपये से अधिक का चुनावी बॉन्ड बेचा गया

आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चला है कि एक जुलाई से 10 जुलाई के बीच 17वें चरण में कलकत्ता ब्रांच से 97.31 करोड़ रुपये, चेन्नई ब्रांच से 30 करोड़ रुपये और हैदराबाद ब्रांच से 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे.

2019-20 में चुनावी ट्रस्ट के ज़रिये भाजपा को मिला सर्वाधिक 276.5 करोड़ का चंदा: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे की 76.17 फीसदी राशि भाजपा को मिली है. इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस को 58 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.

2019-20 में भाजपा को कांग्रेस से पांच गुना अधिक व्यक्तिगत और कॉरपोरेट चंदा मिला: रिपोर्ट

चुनाव आयोग को सौंपी गई योगदान रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में भाजपा को कंपनियों और व्यक्तियों से लगभग 750 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह कांग्रेस पार्टी को मिले 139 करोड़ रुपये से कम से कम पांच गुना अधिक है.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच 695 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बिके

देश में अब तक कुल 16 चरणों में चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई है. एसबीआई ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया है कि इस साल जनवरी में 15वें चरण में 42.10 करोड़ रुपये और अप्रैल में 16वें चरण में 695.34 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए हैं. इस दौरान सर्वाधिक बॉन्ड पश्चिम बंगाल के कोलकता शाखा से बिके.

चुनावी बांड के ज़रिये चंदा देने वालों का नाम घोषित करने वाली पहली पार्टी बनी झामुमो

झारखंड में सत्तारूढ़ पार्टी झामुमो ने बताया है कि उसे एल्युमिनियम एवं तांबा विनिर्माता कंपनी हिंडाल्को से एक करोड़ रुपये का चंदा चुनावी बांड के ज़रिये मिला है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा है कि इससे यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक दलों को दान देने वालों की पहचान की जानकारी है, जिन्होंने उसे चुनावी बॉन्ड के ज़रिये योगदान दिया है.

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