वीडियो: मणिपुर में जारी हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में बयान की मांग पर विपक्ष का 'इंडिया' गठबंधन और सत्तारूढ़ एनडीए आमने-सामने है. इसके साथ ही विपक्ष की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया है. इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. गौरव वल्लभ से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की एयरलाइंस में कार्यरत गीतिका शर्मा अगस्त 2012 में दिल्ली में मृत पाई गई थीं. उन्होंने सुसाइड नोट में कांडा और एक महिला पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था. अब दोनों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि सिर्फ सुसाइड नोट में आरोपी का नाम लेना उन्हें दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है.
हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं पर उनके बयान में किसी के दुख या पीड़ा को लेकर सहज मानवीय प्रतिक्रिया का अभाव नज़र आता है.
मध्य प्रदेश के सीधी से भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला ने कहा कि आदिवासी पर पेशाब करने के आरोपी का घर उनकी पैतृक संपत्ति थी. इसे अधिकारियों द्वारा ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए था. चाहे आरोपी कोई भी हो, उसके परिवार को परेशानी नहीं उठानी चाहिए. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि आरोपी, विधायक केदारनाथ शुक्ला का प्रतिनिधि था.
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य में शुरू की गई गृह लक्ष्मी योजना ‘भाजपा निर्मित महंगाई पर सबसे बड़ा हमला’ है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को कल्याणकारी योजनाओं को ‘रेवड़ी’ कहकर अपमानित नहीं करना चाहिए. उन्हें विशेषकर महिलाओं से माफ़ी मांगनी चाहिए और एक समयसीमा बतानी चाहिए कि वह महंगाई पर कब लगाम लगाएंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जल्द ही 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी. हम मुंबई में फिर से मिलेंगे, जहां हम समन्वयकों के नामों पर चर्चा करेंगे और उनकी घोषणा करेंगे. वहीं एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्षी दल राजनीतिक स्वार्थ के लिए क़रीब तो आ सकते हैं, लेकिन साथ नहीं आ सकते.
एनडीए में शामिल होने पर लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान ने कहा कि हमारा लक्ष्य 2024 के लोकसभा और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव हैं. साल 2020 में चिराग के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो गुटों में बंट गई थी. दूसरे गुट के प्रमुख चिराग के चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन दावा करते हैं कि उनकी हुकूमत का केंद्रीय उसूल ‘लोकतंत्र की रक्षा’ है. यह बात सराहने लायक़ है, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के समय वॉशिंगटन में जो कुछ हुआ वह ठीक इसका उल्टा था. अमेरिकी हुक्मरान जिस शख़्स के आगे बिछे हुए थे, उसने भारतीय लोकतंत्र को बहुत व्यवस्थित तरीक़े से कमज़ोर किया है.
वीडियो: हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सब्ज़ियों की कीमत में वृद्धि के लिए राज्य के मिया मुस्लिम समुदाय को ज़िम्मेदार ठहराया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से फ्लाईओवर के नीचे सब्ज़ी मंडियों को ख़ाली कराएंगे, ताकि ‘असमिया लड़कों’ को रोज़गार के अवसर मिल सकें.
बीते कुछ महीनों में ऐसे छोटे-बड़े क़रीब दर्जनभर ठग सामने आए हैं जो पीएमओ या गृह मंत्रालय के नाम पर चूना लगा रहे हैं. यह कुछ नेताओं के इर्द-गिर्द केंद्रित कामकाज की अपारदर्शी शैली का नतीजा है, जिसने सत्ता के धंधेबाजों की तरह-तरह की प्रजातियों के पनपने के लिए मुफ़ीद माहौल तैयार किया है.
साल 2002 में गठित एसबीएसपी को पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय से काफी समर्थन प्राप्त है. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के समय यह पार्टी सपा के साथ गठबंधन में थी. उससे पहले एसबीएसपी ने एनडीए के तहत भाजपा के साथ गठबंधन में 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान पर आरोप था कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक जनसभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रामपुर के तत्कालीन ज़िला मजिस्ट्रेट के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण दिया था. पिछले छह महीने में यह तीसरा मामला है, जिसमें आज़म ख़ान को सज़ा हुई है.
सब्ज़ियों की कीमत में वृद्धि को लेकर पूछे एक सवाल के जवाब में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि ये मिया विक्रेता हैं, जो ऊंची दरों पर सब्ज़ियां बेच रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह फ्लाईओवर के नीचे सब्ज़ी मंडियों को ख़ाली कराएंगे, ताकि ‘असमिया लड़कों’ को रोज़गार के अवसर मिल सकें.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: देश में घृणा, परस्पर अविश्वास, भेदभाव, अन्याय, झूठ, अफ़वाह सभी में अद्भुत विस्तार हुआ है. राजनीति, मीडिया, धर्म, सामाजिक आचरण सभी मर्यादाहीन होने में कोई संकोच नहीं करते. राजनीति की सर्वग्रासिता, सार्वजनिक ओछापन-टुच्चापन लगभग अनिवार्य माने जाने लगे हैं.
किसी अपराध में दोषी पाए गए सदन के सदस्यों पर आजीवन प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिका सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि जब विधायिका छह साल के प्रतिबंध की बात करती है तो हम आजीवन प्रतिबंध की बात कैसे कह सकते हैं. कोर्ट ने जोड़ा कि अदालतें दोषी सांसदों/विधायकों के लिए अयोग्यता की अवधि निर्दिष्ट नहीं कर सकतीं.