राज्यवार आंकड़ों से पता चलता है कि योजना के तहत किसान जितने भुगतान का दावा करते हैं निजी बीमा कंपनियां उससे कम राशि अदा करती हैं.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि फसल बीमा योजना के तहत प्राइवेट बीमा कंपनियों को भारी भरकम फंड देने के बाद भी, उनके खातों की ऑडिट जांच के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया है.
किसानों का कहना है कि बैंक वाले कभी यह देखने नहीं आए कि खेत में कौन सी फसल लगी हुई है. खेत में गन्ना होगा और वे धान का प्रीमियम काट लेते हैं.