अमेज़ॉन पर हमला और राष्ट्रीय मौद्रिकरण पर चुप्पी संघ परिवार के अंतर्विरोध को उजागर करती है

अगर महज़ दो फीसदी बाज़ार हिस्सेदारी वाले अमेज़ॉन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 कहा जा सकता है, तो फिर केंद्र सरकार को क्या कहा जाए जो एक तरफ सरकारी एकाधिकार रहे जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की बिक्री के लिए विदेशी पूंजी को दावत दे रही है, दूसरी तरफ ऊर्जा और रेलवे जैसे रणनीतिक क्षेत्र में थोक भाव से निजीकरण को बढ़ावा दे रही है?

यूपीएससी ने संयुक्त सचिव, उप-सचिव पदों के लिए निजी क्षेत्र के 31 विशेषज्ञों का चयन किया

लैटरल एंट्री के तहत नियुक्त किए गए इन लोगों में से तीन संयुक्त सचिव, 19 निदेशक और नौ उप-सचिव बनाए गए हैं. मोदी सरकार द्वारा लाई गई इस नई व्यवस्था के तहत ऐसे लोगों को मंत्रालयों में अधिकारी बनाया जाता है, जिन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.

मोदी सरकार को मौद्रिकरण योजना का लाभ कुछ ही कॉरपोरेट समूहों को मिलने की स्थिति से बचना होगा

बैंक फंडों तक पहुंच वाले संभवतः चार या पांच कॉरपोरेट समूह ही हवाई अड्डों, बंदरगाहों, कोयला खदानों, गैस पाइपलाइनों और बिजली उत्पादन परियोजनाओं के दीर्घावधिक लीज़ के लिए बोली लगाएंगे. ऐसे में कहने के लिए भले ही स्वामित्व सरकार के पास रहे, पर ये सार्वजनिक संपत्तियां कुछ चुनिंदा कॉरपोरेट समूहों की झोली में चली जाएंगी, जो पहले ही एक सीमा तक एकाधिकार की स्थिति में हैं.

नरेंद्र मोदी के लिए राजनीतिक मुसीबत बन सकती है सरकारी संपत्तियों की थोक बिक्री

निजीकरण को लेकर सरकार को परेशान करने वाला सबसे मुश्किल सवाल यह है कि सरकारी संपत्तियों को किस क़ीमत पर बेचा जाना चाहिए.

क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, जहां सरकारी संपत्ति निजी कंपनियों को ‘किराये’ पर दी जाएगी

वीडियो: सरकार एक तरफ घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बंद कर रही है या निजी कंपनियों के हाथों बेचकर पैसा जुटाने में लगी है, तो दूसरी ओर सरकारी प्रोजेक्ट को निजी कंपनियों के साथ साझा कर रही है या किराये पर देकर आमदनी बढ़ाने की तैयारी कर रही है. सरकार की ‘नेशनल एसेट मोनेटाइजेशन’ योजना के बारे में विस्तार से बता रहे हैं मुकुल सिंह चौहान.

सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों का निजीकरण देश के लोगों के हित में नहीं: एटक

बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या वे बेकार पड़ी हुई हैं, ऐसी 100 परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण कर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे. उन्होंने कहा था कि उपक्रमों और कंपनियों को समर्थन देना सरकार का कर्तव्य है. लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सरकार इनका स्वामित्व अपने पास रखे.

प्रधानमंत्री ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण का समर्थन किया, कहा- व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या वे बेकार पड़ी हुई हैं, ऐसी 100 परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण कर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि उपक्रमों और कंपनियों को समर्थन देना सरकार का कर्तव्य है. लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सरकार इनका स्वामित्व अपने पास रखे.

केंद्र सरकार लैटरल एंट्री के ज़रिये संयुक्त सचिव और निदेशक पद पर नियुक्तियां करेगा

लैटरल एंट्री के तहत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव पद पर तीन और निदेशक स्तर के पदों पर 27 नियुक्तियां होनी हैं. लैटरल एंट्री सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.

‘लैटरल एंट्री’ के जरिए सरकार ने निजी क्षेत्र के नौ विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव नियुक्त किया

आमतौर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली आईएएस, आईएफएस या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया जाता है.

उप-सचिव, निदेशक स्तर के 400 पदों पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की भर्ती करेगी मोदी सरकार

मोदी सरकार ने यह फैसला इस साल अप्रैल में निजी क्षेत्रों के नौ विशेषज्ञों को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव के पदों पर तैनाती के लिए चुनने के बाद किया है.

लैटरल एंट्री: सरकारी विभागों में संयुक्त सचिव बने निजी क्षेत्र के नौ अधिकारी

आमतौर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली आईएएस, आईएफएस या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया जाता है.

संयुक्त सचिव स्तर पर लैटरल एंट्री: निजी क्षेत्र से मिले 6,000 आवेदन, 89 छांटे गए

कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल जून में लैटरल एंट्री तरीके से संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर नियुक्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले निजी क्षेत्र के लोगों से आवेदन मांगे थे.

निजी क्षेत्र में आरक्षण समय की ज़रूरत ​है

निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग पर विचार करने से पहले यह उल्लेख कर देना ज़रूरी है कि आरक्षण के मसले पर मेरिट, सामान्य श्रेणी के साथ अन्याय व निजी क्षेत्र की स्वायत्तता में बेमानी दख़ल जैसे तर्कों पर फ़ालतू चर्चा का अब कोई मतलब नहीं है.

ख़राब हालात वाले सरकारी स्कूलों को निजी कंपनियों को सौंप देना चाहिए: नीति आयोग

नीति आयोग ने सिफारिश की है कि इस बात संभावना तलाशनी चाहिए कि क्या निजी क्षेत्र प्रति छात्र के आधार पर सार्वजनिक वित्त पोषित सरकारी स्कूल को अपना सकते हैं.