बड़ी मंदी की ओर बढ़ रहा भारत, आईसीयू में जा रही अर्थव्यवस्था: पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार

नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए अरविंद सुब्रमण्यन ने दिसंबर 2014 में दोहरे बैलंस शीट की समस्या उठाई थी, जिसमें निजी उद्योगपतियों द्वारा लिए गए कर्ज बैंकों के एनपीए बन रहे थे. सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से दोहरे बैलेंस शीट के संकट से जूझ रही है.

सभी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन होना अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं: रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत आर्थिक मंदी के घेरे में है. आर्थिक सुस्ती को दूर करने की शुरुआत के लिए यह जरूरी है कि मोदी सरकार सबसे पहले समस्या को स्वीकार करे.

बहुसंख्यकवाद और अधिनायकवाद भारत को अंधेरे रास्ते पर ले जा रहा है: रघुराम राजन

अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में एक लेक्चर के दौरान पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बिना सोच-विचार के नोटबंदी लाने और बुरी तरह से जीएसटी लागू करने की वजह से भारत इस समय आर्थिक सुस्ती की दौर से गुजर रहा है.

बिना रोजगार सृजन के सात फीसदी जीडीपी वृद्धि दर संदेह के घेरे में है: रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने जीडीपी के आंकड़ों को लेकर उपजे संदेह को दूर करने के लिए एक निष्पक्ष समूह की नियुक्ति पर जोर दिया है.

आरटीआई के तहत नोटबंदी से जुड़ी जानकारी नहीं देने पर सीआईसी ने आरबीआई को लगाई फटकार

सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने जानकारी नहीं देने के कारण आरबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आरटीआई के तहत आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की उन सभी बैठकों से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी जिसके तहत नोटबंदी के निर्णय पर पहुंचा गया.

सरकार ने संसद को नहीं बताया रघुराम राजन द्वारा भेजे गए घोटालेबाज़ों के नाम, कहा- केस दर्ज हुआ है

बीते अगस्त महीने में वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया था कि वित्त वर्ष 2015-16 से लेकर 2017-18 के बीच फ्रॉड की वजह से बैंकों को 69,755 करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ है. सीबीआई 292 बैंक फ्रॉड के मामलों की जांच कर रही है.

सरकार केंद्रीय सूचना आयुक्तों को मुक़दमों के ज़रिये डरा रही है: पूर्व सूचना आयुक्त

पूर्व सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्रीय सूचना आयोग को सरकार द्वारा उसके ख़िलाफ़ दायर मुक़दमों के ख़तरे का सामना करना पड़ रहा है.

केंद्रीय सूचना आयोग को शर्मिंदा होना चाहिए कि आरबीआई उसके आदेशों को नहीं मान रहा: सूचना आयुक्त

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर को पत्र लिखकर कहा कि आरबीआई द्वारा जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने वाले लोगों की जानकारी नहीं देने पर केंद्रीय सूचना आयोग को सख़्त कदम उठाना चाहिए.

सीआईसी की पीएमओ को फटकार, रघुराम राजन द्वारा भेजे गए घोटालेबाजों के नाम सार्वजनिक करने को कहा

सीआईसी ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि पीएमओ जानकारी देने से मना कर रहा है. उनका नैतिक, संवैधानिक और राजनीतिक कर्तव्य है कि वो भारत के नागरिकों को बड़े बैंक डिफॉल्टर्स और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी दे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन, आरबीआई ने तीन साल बाद भी नहीं बताया शीर्ष 100 डिफॉल्टरों के नाम

विशेष रिपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले दिसंबर 2015 में आरबीआई की सभी दलीलों को ख़ारिज करते हुए अपने फैसले में कहा था कि आरबीआई देश के शीर्ष 100 डिफॉल्टरों के बारे में जानकारी दे और इससे संबंधित सूचना वेबसाइट पर अपलोड करे.

सीआईसी का आदेश, रघुराम राजन द्वारा भेजी गई घोटालेबाजों की सूची पर सरकार जानकारी दे

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक का ऋण लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नाम के संबंध में सूचना नहीं उपलब्ध कराने को लेकर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को कारण बताओ नोटिस भेजा है.

रघुराम राजन ने मोदी को ही भेजी थी एनपीए घोटालेबाज़ों की सूची, कार्रवाई पर सरकार की चुप्पी

द वायर एक्सक्लूसिव: एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया कि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वित्त मंत्रालय को एनपीए घोटालेबाज़ों की सूची भेजी थी. सूची के संबंध में हुई कार्रवाई पर जानकारी देने से केंद्र सरकार का इनकार.

एनपीए के घोटालेबाज़ों पर रघुराम राजन की सूची पर संसदीय समिति ने पीएमओ से मांगा जवाब

भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्ययक्षता वाली प्राक्कलन समिति को भेजे अपने नोट में रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि उन्होंने पीएमओ को एनपीए के फ़र्ज़ीवाड़े के बड़े मामलों की एक सूची भेजी थी, ताकि उनकी गंभीरतापूर्वक जांच की जा सके.

एनपीए पर रघुराम राजन की रिपोर्ट रसूख़दारों पर सरकारी मेहरबानी का दस्तावेज़ है

अब यह देखा जाना बाक़ी है कि क्या मोदी सरकार इन बड़े कॉरपोरेट घरानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में सफल हो पाती है, जो आने वाले आम चुनावों में अज्ञात चुनावी बॉन्डों के सबसे बड़े ख़रीदार हो सकते हैं.