2018 में 21वें विधि आयोग ने कहा था कि इस समय समान नागरिक संहिता की ज़रूरत नहीं है. अब 22वें विधि आयोग ने एक नई अधिसूचना जारी करते हुए इस बारे में जनता और धार्मिक संगठनों समेत विभिन्न हितधारकों राय मांगी है. विपक्ष ने इसे विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने की कोशिश बताया है.
यूनीफॉर्म सिविल कोड के नाम पर चैनलों और अखबारों में कितनी बहस चलाई गई और मुसलमानों के प्रति नफ़रत का वट वृक्ष खड़ा किया जाता रहा. इस डिबेट में पहले भी कुछ नहीं था, अब भी कुछ नहीं है.
विधि आयोग ने विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता से संबंधित कानूनों तथा महिलाओं और पुरुषों की विवाह योग्य उम्र में बदलाव के सुझाव दिए हैं.