जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
2020 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में देश में मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश पर लगी कथित रोक को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए निर्देश देने का आग्रह किया गया था. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट से कहा है कि मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में जाने के लिए स्वतंत्र हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वे वहां नमाज़ पढ़ने के हक़ का इस्तेमाल करना चाहती हैं या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया है कि जुलाई 2021 में उन पर धर्म के नाम पर हमला हुआ, बदसलूकी की गई और यूपी पुलिस ने घृणा अपराध की शिकायत तक दर्ज नहीं की. अदालत ने कहा कि जब नफ़रत की भावना से किए जाने वाले अपराधों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब ऐसा माहौल बनेगा, जो ख़तरनाक होगा.
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि श्रम के प्रति सम्मान की भावना की कमी देश में बेरोज़गारी के मुख्य कारणों में से एक है. उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर की दृष्टि में हर कोई समान है और उसके सामने कोई जाति या संप्रदाय नहीं है. यह सब पंडितों ने बनाया, जो ग़लत है.
पुण्यतिथि विशेष: गांधी की रामराज्य की अवधारणा कोई धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि महान नैतिक मूल्यों पर आधारित और प्राचीनता व आधुनिकता दोनों की रूढ़ियों से मुक्त वैकल्पिक सभ्यता का पर्याय थी. उनके निकट धर्म भी इन्हीं महान नैतिक मूल्यों को बरतने का दूसरा नाम था.
बीते कुछ समय में देश के कई राज्यों में कथित तौर पर मुस्लिम पुरुषों के हिंदू महिलाओं से शादी करने की बढ़ती घटनाओं के आधार पर 'लव जिहाद' से जुड़े क़ानून को जायज़ ठहराया गया है. लेकिन क्या इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई वास्तविक सबूत मौजूद है?
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इसमें संदेह नहीं कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में बिल्कुल निहत्थे चल रहे हैं, उनकी रक्षा के लिए कमांडो तैनात हैं पर वे वेध्य हैं. बड़ी बात यह है कि वे निडर हैं.
भारत जोड़ो यात्रा एक ऐसी कोशिश है, जिसका प्रभाव निकट भविष्य पर पड़ेगा या नहीं, और पड़ेगा तो कितना, यह कहना मुश्किल है. इसे सिर्फ़ चुनावी नतीजों से जोड़कर देखना भूल है. इससे देश में बातचीत का एक नया सिलसिला शुरू हुआ है जो अब तक के घृणा, हिंसा और इंसानियत में दरार डालने वाले माहौल के विपरीत है.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समितियां गठित करने के उन राज्य सरकारों के फैसलों को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि संविधान राज्यों को इस तरह की समितियों के गठन का अधिकार देता है.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक कार्यक्रम में कहा कि कश्मीरी पंडित टारगेटेड हत्याओं का शिकार हैं, लेकिन देश को इन्हें धर्म के आधार पर देखना बंद करना चाहिए क्योंकि बहुत से अन्य लोग भी मारे गए हैं. बीते कई महीने से जम्मू में प्रदर्शनरत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने इस पर रोष जताया है.
अयोध्या में 18वीं शताब्दी में वर्ण-व्यवस्था का अतिक्रमण कर जाति, संप्रदाय, हिंसा व जीव हत्या का मुखर विरोध व सामाजिक समानता की पैरोकारी करने वाले संत पलटूदास को अजात घोषित कर ज़िंदा जला देना इस बात का प्रमाण है कि देश में पागलपन में शामिल न होने वालों को मार देने का सिलसिला बहुत पुराना है.
आज के भारत में ख़ासकर हिंदुओं के लिए ज़रूरी है कि वे ग़ैर हिंदुओं के धर्म, ग्रंथों, व्यक्तित्वों, उनके धार्मिक आचार-व्यवहार को जानें. मुसलमान, ईसाई, सिख या आदिवासी तो हिंदू धर्म के बारे में काफ़ी कुछ जानते हैं लेकिन हिंदू प्रायः इस मामले में सिफ़र होते हैं. बहुत से लोग मोहर्रम पर भी मुबारकबाद दे डालते हैं. ईस्टर और बड़ा दिन में क्या अंतर है? आदिवासी विश्वासों के बारे में तो हमें कुछ नहीं मालूम.
राज्यसभा में माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने राज्य सरकारों के समान नागरिक संहिता संबंधी क़ानून बनाने को लेकर प्रश्न किया था. इस पर केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि समान नागरिक संहिता बनाए रखने के प्रयास में राज्यों को उत्तराधिकार, विवाह, तलाक़ जैसे मुद्दों से संबंधित व्यक्तिगत क़ानून बनाने का अधिकार है.
महाराष्ट्र सरकार ने अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादी करने वाले दंपति और इस तरह के विवाह के बाद परिवार से अलग हुई महिलाओं व उनके परिवार के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एक समिति बनाई है. एनसीपी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सरकार को लोगों के निजी जीवन की जासूसी करने का कोई हक़ नहीं है.
कांग्रेस सांसद ए. रेवंत रेड्डी द्वारा लोकसभा में सवाल-जवाब के दौरान उनकी जाति का ज़िक्र करने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आप जाति और धर्म के आधार पर चुनकर नहीं आते हैं... सदन के भीतर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करें, अन्यथा कार्रवाई करनी होगी.