एक सार्वभौमिक और मानवतावादी प्रार्थना को हटाना वही संदेश देता है, जिसे 'न्यू इंडिया' सुनना चाहता है.
बीटिंग द रिट्रीट समारोह से हटाए गए महात्मा गांधी के प्रिय भजनों में से एक 'एबाइड विद मी' का हिंदी अनुवाद.
इस बहुरंगी देश को इकरंगी बनाने की क़वायदें अब गणतांत्रिक प्रतीकों व विरासतों को नष्ट करने के ऐसे अपराध में बदल गई हैं कि उन्हें इतिहास से बुरे सलूक की हमारी पुरानी आदत से जोड़कर भी दरकिनार नहीं किया जा सकता.
बीटिंग द रिट्रीट समारोह में बजाई जाने वाली प्रार्थना 'एबाइड विद मी' महात्मा गांधी की पसंदीदा थी. 1950 से लगातार समारोह का हिस्सा रही इस धुन को 2020 में भी हटाया गया था पर भारी विरोध के बाद 2021 में फिर शामिल कर लिया गया. इस साल समारोह में बजने वाली 26 धुनों की आधिकारिक सूची में इसका ज़िक्र नहीं है.
सेना ने बीटिंग रिट्रीट के लिए आधिकारिक धुनों की जो पुस्तिका निकाली है, उसमें ईसाई प्रार्थना ‘एबाइड विद मी’ शामिल है. बैंड द्वारा बजायी जाने वाली धुनों में ‘वंदे मातरम’ भी शामिल है.
हर साल 29 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी के विजय चौक पर आयोजित होने वाले बीटिंग द रिट्रीट का समापन पारंपरिक रूप से महात्मा गांधी के पसंदीदा गीत 'एबाइड विद मी' गीत के साथ होता रहा है. इस साल समारोह के 'वंदे मातरम' के साथ समाप्त होने की संभावना है.
असम में नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन चल रहे हैं. पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को उनके दौरे पर काले झंडे दिखाकर स्थानीय लोग अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं, इसलिए ऐसे कार्यक्रमों में काले रंग के कपड़ों और वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है.
बीती 26 जनवरी को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में गणतंत्र दिवस समारोह में कई पत्रकारों ख़ासकर फोटोग्राफरों को वैध पास होने के बावजूद भी कथित तौर पर प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. एडिटर्स गिल्ड ने इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया.