ग्रामीण क्षेत्रों में दिसंबर में शहरी क्षेत्रों के मुक़ाबले अधिक खुदरा महंगाई दर्ज की गई: डेटा

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2022 में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक खुदरा महंगाई दर्ज की गई. देश में मिज़ोरम में खुदरा महंगाई की उच्चतम दर 13.94 फीसदी दर्ज की गई, जबकि त्रिपुरा में अधिकतम शहरी महंगाई की दर (10.43 फीसदी) देखी गई.

बेरोज़गारी दर अगस्त में बढ़कर एक साल के उच्च स्तर 8.3 प्रतिशत पर: सीएमआईई

आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में रोज़गार पिछले महीने की तुलना में 20 लाख घटकर 39.46 करोड़ रह गया. इस दौरान शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण बेरोज़गारी दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गई.

बेरोज़गारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत पर: सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी

आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में रोज़गार में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मई में 7.30 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही और बेरोज़गारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी.

खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से थोक मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 15.88 प्रतिशत के उच्च स्तर पर

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दो अंक में यानी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है. अप्रैल 2021 में यह 10.74 फ़ीसदी थी.

थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.79 प्रतिशत पहुंची, आठ साल का उच्चतम स्तर

खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है और लगातार चौथे महीने रिज़र्व बैंक के लक्ष्य की उच्चतम सीमा से ऊपर रही है. खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने में 7.68 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने में 1.96 प्रतिशत थी.

मार्च की तुलना में अप्रैल में भारत की बेरोज़गारी दर बढ़कर 7.83 प्रतिशत हुई: सीएमआईई

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.22 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 8.28 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोज़गारी दर 7.29 प्रतिशत से घटकर 7.18 प्रतिशत हो गई.

खाद्य वस्तुएं महंगी होने से खुदरा मुद्रास्फीति 6.95 प्रतिशत पर, 17 माह में सबसे अधिक

सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया हुआ है, लेकिन यह लगातार तीसरा महीना है जब यह छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. 

थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 1.48 प्रतिशत पर आई, आठ माह का उच्चतम स्तर

इस साल फरवरी के बाद थोक मुद्रास्फीति का यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है. फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत पर थी. सितंबर में थोक मुद्रास्फीति 1.32 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में शून्य पर थी.

फल-सब्ज़ी महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.34 फ़ीसदी हुई, आठ महीने का उच्च स्तर

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में बढ़कर 10.68 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 9.05 प्रतिशत थी. सब्ज़ियों की महंगाई दर सितंबर महीने में बढ़कर 20.73 प्रतिशत रही, जो अगस्त में 11.41 प्रतिशत थी.

थोक महंगाई जुलाई में माइनस 0.58 प्रतिशत हुई, खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक महंगाई दर जुलाई में माइनस 0.58 फीसदी रही, जबकि जून महीने में यह माइनस 1.81 फीसदी थी.

इस साल मई में खाद्य महंगाई दर बढ़कर 9.28 फीसदी हुई: सरकारी आंकड़े

केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के बाद लागू लॉकडाउन के दौरान लगातार दूसरे महीने खुदरा मुद्रास्फीति के आंशिक आंकड़े जारी किए. मई 2019 में खाद्य महंगाई दर 1.83 फीसदी थी.

पांच साल का रिकॉर्ड तोड़ दिसंबर में 7.35 फीसदी पर पहुंची खुदरा महंगाई दर

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भी दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई की दर सामान्य स्तर को लांघ चुकी है. वहीं, दिसंबर महीने में सब्जियों की कीमतें पिछले साल से औसतन 60.5 फीसदी ऊपर थीं. साल 2014 में खुदरा महंगाई दर 7.39 फीसदी पर चल रही थी.